समीक्षा कुमारी/शिमला: हिमाचल प्रदेश में इन दिनों पर्यटन सीजन शुरू हो गया है. ऐसे में शिमला का 'हेरिटेज गेयटी थिएटर' पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बन रहा है. शिमला के इस गेयटी थिएटर का निर्माण सन् 1887 में ब्रिटिश आर्किटेक्ट हैनरी इरविन ने विक्टोरियन गोथिक शैली में कराया था. 12वीं शताब्दी से लेकर 18वीं शताब्दी तक इस तरह के कई थिएटर बनाए जाते थे. ब्रिटिश काल में जब शिमला समर कैपिटल थी उस समय अंग्रेज शिमला को कल्चरल सेंटर बनाना चाहते थे इसलिए उन्होंने गेयटी क्षेत्र का निर्माण करवाया. अब पूरे विश्व में इस तरह के केवल 6 ही थिएटर बचे हैं, जिनमें से एक शिमला का गेयटी थिएटर है.


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अलग-अलग प्रदर्शनियों का हो रहा आयोजन
अंग्रेजी हुकूमत के समय गेयटी में भारतीयों के आने पर रोक थी. इसमें अंग्रेजों की सभ्यता के कार्यक्रमों का आयोजन होता था, लेकिन अब इसमें भारतीय संस्कृति के साथ-साथ हिमाचली सभ्यता का भी मंचन होता है. इसमें अलग-अलग तरह के नाटक, प्रदर्शनियों का आयोजन किया जाता है जिसे एक आम नागरिक बिना किसी रोक-टोक के देख सकता है. यह शिमला घूमने आ रहे पर्यटकों के लिए भी खुला है.


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कई बड़े कलाकार यहां दे चुके परफॉर्मेंस 
गेयटी थिएटर में बड़े-बड़े कलाकार अपनी कलाकारी दिखा चुके हैं. यह थिएटर कला-संस्कृति दुनिया के कई दिग्गजों की जादुई प्रस्तुति का गवाह रहा है. रंगमंच की दुनिया के बेताज बादशाह स्वर्गीय मनोहर सिंह के तो यहां प्राण बसते थे क्योंकि मनोहर सिंह खुद शिमला के रहने वाले थे. यही नहीं, महान बांसुरी वादक हरिप्रसाद चौरसिया, संतूर के जादूगर पंडित शिवकुमार शर्मा, पंडित जसराज, सितार वादन में ख्यात निशात खान, उस्ताद राशिद खान, पंडित छन्नूलाल मिश्र सहित ऐसे कई नाम हैं जिन्होंने यहां प्रस्तुति दी है. रंगमंच की दुनिया में ओम पुरी, नसीरुद्दीन शाह सरीखे जैसे लोग भी यहां आकर अपनी कला प्रदर्शित कर चुके हैं. बड़ी बात यह है कि गेयटी थिएटर अपने आप में इतिहास के कई पन्ने समेटे हुए है. प्रसिद्ध अभिनेता अनुपम खैर भी गेयटी थिएटर में परफॉर्मेंस दे चुके हैं. 


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