समीक्षा कुमारी/शिमला: हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा विधानसभा में पारित विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की नियुक्तियों के बिल को लेकर राजभवन और सरकार में तकरार शुरू हो गई है. कृषि मंत्री के बयान पर राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने आपत्ति जताते हुए कहा कि पालमपुर कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति की नियुक्ति को लेकर कृषि मंत्री बार-बार कह रहे हैं कि नियुक्ति को लेकर बिल मंजूरी के लिए राजभवन में अटका हुआ है जबकि बिल सरकार के पास है. राजभवन ने इसे टिप्पणी के लिए सरकार को भेजा है, जिस पर सरकार ने फैसला लेना है. ऐसे में राजभवन पर दोषारोपण करना गलत है.


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राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने राजभवन में पत्रकार वार्ता कर कहा कि कृषि मंत्री कह रहे हैं कि राजभवन में राज्यपाल के पास बिल को लेकर पत्रावली पड़ी है, इसलिए नियमित कुलपति की नियुक्ति नहीं हो पा रही है. राजभवन की तरफ से इसमें कोई देरी नहीं हुई है. बिल में सरकार ने संशोधन कर कहा है कि सरकार की सहमति के आधार पर कुलपति की नियुक्ति की जाए, क्योंकि पैसा सरकार देती है, इसलिए जो नाम सरकार भेजे उसे ही राज्यपाल अपनी सहमति दें, जबकि नियमों में ऐसा नहीं है.


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नियमों के मुताबिक यूजीसी, राज्यपाल और सरकार तीनों के प्रतिनिधि की सहमति से कुलपति की नियुक्ति होती है. ऐसा देश में किसी भी राज्य में कोई प्रावधान नहीं है. हिमाचल में ही पहली बार ऐसा होगा. ऐसी स्थिति में बिल पहली बार राष्ट्रपति को भेजने पर राजभवन विचार करेगा. राजभवन ने कुलपतियों की नियुक्ति के लिए पुराने नियमों के अनुसार, ही कमेटी का गठन किया है जो कुलपति को खोजने का काम कर रही है, लेकिन एक साल से कुलपति खोज नहीं सकी है. 


कुलपति की नियुक्ति न होने में राजभवन का कोई दोष नहीं है. मामला हाई कोर्ट में विचाराधीन है. राज्यपाल ने कहा कि मैं नियम के विरुद्ध कोई भी काम नहीं करूंगा. राज्यपाल के पद की गरिमा बनाए रखने के लिए कुछ भी करूंगा. बिल सरकार के पास ही है और सरकार को ही उसमें निर्णय लेना है.


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वहीं राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने बिगड़ती कानून व्यवस्था के सवाल पर कहा कि कानून व्यवस्था बहुत बिगड़ गई है ऐसा नहीं कह सकते हैं, लेकिन शांत प्रदेश में अगर कुछ भी घटना होती है तो प्रदेश की बदनामी होती है. ऐसे में सरकार को इसकी चिंता होनी चाहिए. वहीं राज्यपाल ने ट्राइबल एरिया में भूमिहीनों को नौतोड़ भूमि देने को लेकर कहा कि राजभवन को नौतोड़ भूमि देने में कोई आपत्ति नहीं हैं. राजभवन ने इसमें सरकार से लाभार्थियों की संख्या पूछी है, जैसे ही जवाब मिलेगा राजभवन इसे भी मंजूरी दे देगा.


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