Jammu News in Hindi: जम्मू कश्मीर के लेह रोड पर सेना की गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त होने से शहीद हुए फतेहगढ़ साहिब की तहसील बस्सी पठाना के गांव कमाली के जवान तरणदीप सिंह (23) का पार्थिव शरीर घर पहुंचा. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

सेना अधिकारी ने शव को तिरंगे में लपेटकर घर लेकर आए.  गांव के शमशानघाट में अंतिम संस्कार किया गया.  पिता केवल सिंह ने मुखाग्नि दी.  डीसी परनीत कौर शेरगिल, एसएसपी डॉक्टर रवजोत कौर ग्रेवाल, विधायक रूपिंदर सिंह हैप्पी के अलावा सैन्य अधिकारियों ने शहीद को श्रद्धांजलि भेंट की.  


शहीद तरणदीप सिंह की अंतिम यात्रा में आसपास के गांवों के सैकड़ों लोग शामिल हुए. गांव कमाली के श्मशानघाट पहुंचने पर पार्थिव देह को डीसी-एसएसपी समेत सेना के अधिकारियों ने पुष्प चक्र चढ़ाकर श्रद्धांजलि दी. वहीं, परिवार के लोगों ने पार्थिव देह पर सेहरा सजाकर अंतिम विदाई दी.  इस दौरान हर किसी की आंखें नम दिखाई दी. 


वहीं, गांव के लोगों ने शहीद की याद में अस्पताल बनाने की मांग की.   तरणदीप की मौत के बाद से पूरे एरिया में शोक पसरा हुआ था. बता दें, तरणदीप दिसंबर 2018 में भर्ती हुआ थे.  परिवार का इकलौते बेटा थे.  इस साल दिसंबर में शहीदी सभा पर फतेहगढ़ साहिब में नतमस्तक होने और परिवार को मिलने छुट्टी पर आना था.  इससे पहले खुद शहीद हो गए. 


परिवार में तरणदीप सिंह की शादी को लेकर अक्सर बातें होती रहती थी, लेकिन तरणदीप ने मना कर दिया. उनकी तमन्ना यह भी कि पहले वह अपनी बड़ी बहन की शादी करेंगे. उसके बाद खुद शादी करेंगे. बहन के लिए अच्छा लड़का परिवार वाले देख रहे थे. 


दिसंबर में तरणदीप के आने पर बहन की शादी को लेकर भी आपस में पारिवारिक फैसला लेना था.  तरणदीप के पिता छोटे किसान हैं. साढ़े 3 एकड़ जमीन में खेती करके परिवार को चलाते हैं.  परिवार ने बताया- बेटे ने आखिरी बार मां से डेढ़ घंटे तक बात की थी क्योंकि लेह लद्दाख में नेटवर्क की समस्या के कारण बात नहीं हो पानी थी.


गांववासियों ने तरणदीप की शहादत को सलाम किया. इसके साथ ही तरणदीप के दोस्तों ने बताया कि वे अक्सर युवाओं को नशों से दूर रहने और फौज में भर्ती होने की प्रेरणा देता था.  गांव के हर धार्मिक कार्य में आगे होकर सेवा करता था. हर छुट्टी पर फतेहगढ़ साहिब माथा टेकने जाता था. क्रिकेट का खिलाड़ी था.


तरणदीप के पड़ोसी ने बताया कि पिता केवल सिंह को पहले से शौक था कि बेटे को फौज में भर्ती कराया है.  सुबह पिता साइकिल लेकर निकलता था तो तरणदीप साथ साथ दौड़ता था.  ऐसे प्रेक्टिस करके फौज में भर्ती हुआ और आज पिता को यह दिन देखना पड़ा.