Bilaspur: सनातन धर्म पर दी जा रही टिप्पणी के विरोध में बिलासपुर में लोगों ने जताई नाराजगी
Bilaspur News in Hindi: सनातन धर्म पर दी जा रही टिप्पणी व विवाद सहित उठाए जा रहे सवाल पर और महिला आरक्षण बिल के तहत 33 प्रतिशत महिलाओं को आरक्षण पर लोगों की प्रतिक्रिया.
Bilaspur News: डीएमके नेता उदयनिधि स्टालिन द्वारा सनातन धर्म पर दिए गए बयान के बाद जहां राजनीति गरमा गई है, तो वहीं हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर के रहने वाले स्थानीय लोगों ने भी इस किसी बीमारी की तरह सनातन धर्म का विरोध करने के बजाए उसे खत्म करने व इस मुद्दे पर उठे विवाद पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए निंदा की है.
वहीं, बिलासपुर से सम्बंध रखने वाले अधिवक्ता तुषार डोगरा, पुजारी बाबूराम शर्मा व मंजीत नड्डा ने कहा कि सनातन धर्म सबसे पुराना धर्म है और धर्म के मामले में राजनीति कर वोट बैंक जुटाने के मकसद से सनातन को खत्म करने की बात कहना सरासर गलत है.
इसके साथ ही लोकसभा में महिला आरक्षण बिल पास करने व 33 प्रतिशत महिलाओं को लोकसभा व विधानसभा में स्थान दिए जाने का भी स्थानीय लोगों ने स्वागत करते हुए इस निर्णय के बाद से महिलाओं को भी राजनीति में आगे आने व महिलाओं की बात सदन में रखने का मौका मिलने की बात कही है.
इसके अलावा औरतों के रिजर्वेशन को लेकर और सनातन धर्म पर होती जा रही पार्टियों की तरफ से लगातार विवादित टिप्पणियों के चलते आज एक सर्वे किया गया. जिसमें औरतों के और कामकाजी महिलाओं के जो विचार थे उनके बारे में जानकारी ली गई जिसके तहत कामकाजी महिला दलजीत कौर के मुताबिक औरतों को अगर पार्टी एजेंडा ना बनाने की बजाय अगर उनके अधिकारों को लेकर सच्ची में अगर काम किया जाए तो ज्यादा बेहतरीन होगी क्योंकि औरतें जो हैं वह देश का भविष्य लिखती हैं वह अपने परिवार का भविष्य लिखती हैं तो वह बगदाद बड़े अच्छे तरीके से संभाल सकती हैं.
वहीं दूसरी तरफ उन्होंने सनातन धर्म पर होती विवादित टिप्पणियों को लेते हुए कहा है कि धर्म जो है वह सब का एक जैसा है और धर्म को किसी भी तरीके से राजनीति के साथ नहीं जोड़ना चाहिए क्योंकि धर्म एक अपनी निजी विचारधारा से जुड़ता है.
वहीं राजेंद्र पाल का कहना है कि जो सनातन धर्म है या फिर कोई भी धर्म है वह कोई थॉट नहीं है वह एक दूसरे को साथ जोड़ता है. हमारे देश में धर्म को लेकर कुछ और ही एजेंडा चल रहे हैं, जो की जरूरी नहीं है राजनीति का धर्म से कोई लेनदेन है ही नहीं है. वह बात अलग है कि अपने खुद के मतलबों को लेकर धर्म को इस्तेमाल किया जाता है. महिला आरक्षण बिल के लिए उनका यही कहना था कि जैसे दोनों पहिए जरूरी है गाड़ी के लिए ठीक उसी तरीके से जो महिलाओं को आगे आने का मौका देना चाहिए वह बहुत जरूरी है क्योंकि हमारे घर में अपनी मां से और बहनों से यह चीज शुरू हो जाती है तो देश से हम यह चीज शुरू क्यों नहीं करते महिलाओं से हम शुरुआत क्यों नहीं करते.