Playing Cards on Diwali: दिवाली कल यानी 12 नवंबर को है. वहीं, रोशनी, दिये के अलावा लोग इस दिन ताश भी खेलते हैं. दिवाली के मौके पर ताश खेलने का चलन खासतौर पर उत्तर भारत के राज्यों में ज्यादा देखने को मिलता है.  


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दिवाली की रात में लोग पूजा पाठ के बाद ताश खेलते हैं. जो एक तरह का जुआ है. अब तो ये एक तरह से ट्रेंड बन गया है. हालांकि, लोग पूरे साल नहीं, सिर्फ इस पर्व पर ही ताश खेलते हैं. ऐसे में आज के इस खबर में जानते हैं कि आखिर इसकी क्या कहानी है..


मान्यता है कि दीपावली की रात शगुन की रात मानी जाती है और इसमें माता लक्ष्मी घर-घर जाती है. ऐसे में जुआ खेलना सालभर हार-जीत का संकेत माना जाता है. वहीं, दिवाली के इस खेल में जुए में जो जीतता है, उसका भाग्य सालभर चमकता रहता है. 


जानकारी के अनुसार, पौराणिक कहानियों की एक कहानी में दावा किया जाता है कि माता पार्वती और शिव शंकर ने दिवाली की रात चौसर का खेल खेला था. इस खेल में माता पार्वती की जीत हुई. वहीं, शिव जी ने जब ये देखा कि पार्वती इस खेल को खेलकर अत्यंत प्रसन्न हैं, तो उन्होंने पार्वती को खुश देखने के लिए हार-जीत को परे रखकर, इस खेल में हारने लगे, ताकि पार्वती जी खुश रहे हैं. 


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हालांकि, आखिरी में जब पार्वती जी को पता चला कि शिव उन्हें प्रसन्न करने के लिए जानबूझकर हार गए हैं, तो भगवान शिव का प्रेम और समर्पण देखकर वो अत्यंत प्रसन्न हुई. वहीं, उन्होंने कहा कि जो भी दिवाली की रात को ताश खेलेगा वह आगामी वर्ष में समृद्ध होगा.