President Droupadi Murmu Speech: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (President Droupadi Murmu) ने 75वें गणतंत्र दिवस (Republic Day 2024) की पूर्व संध्या पर गुरुवार को राष्ट्र को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि मैं देश को शुभकामनाएं देती हूं. कल के दिन हम संविधान के प्रारंभ का उत्सव मनाएंगे. संविधान की प्रस्तावना हम लोग से शुरू होती है. ये शब्द हमारे संविधान के मूल भाव को रेखांकित करते हैं. 



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उन्होंने आगे कहा कि हमारा देश स्वतंत्रता की शताब्दी की ओर बढ़ते हुए अमृत काल के प्रारंभिक दौर से गुजर रहा है. हमारे गणतंत्र का पचहत्तरवां वर्ष कई अर्थों में, देश की यात्रा में एक ऐतिहासिक पड़ाव है. कल वह दिन है जब हम संविधान के प्रारंभ होने का जश्न मनाएंगे.  इसकी प्रस्तावना "हम, भारत के लोग" शब्दों से शुरू होती है. 


उन्होंने कहा हमारा देश स्वतंत्रता की शताब्दी की ओर बढ़ते हुए अमृत काल के प्रारंभिक दौर से गुजर रहा है. यह एक युगांतरकारी परिवर्तन का कालखंड है. हमें अपने देश को नई ऊंचाइयों तक ले जाने का सुनहरा अवसर मिला है.  हमारे लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रत्येक नागरिक का योगदान महत्वपूर्ण होगा.  इसके लिए मैं सभी देशवासियों से संविधान में निहित हमारे मूल कर्तव्यों का पालन करने का अनुरोध करूंगी.  ये कर्तव्य आजादी के 100 वर्ष पूरे होने तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने की दिशा में प्रत्येक नागरिक के आवश्यक दायित्व हैं."


राष्ट्रपति ने आगे कहा कि इस संदर्भ में मुझे महात्मा गांधी का स्मरण होता है.  बापू ने ठीक ही कहा था, “जिसने केवल अधिकारों को चाहा है, ऐसी कोई भी प्रजा उन्नति नहीं कर सकी है. केवल वही प्रजा उन्नति कर सकी है, जिसने कर्तव्य का धार्मिक रूप से पालन किया है.”


उन्होंने कहा कि, " गणतंत्र दिवस हमारे आधारभूत मूल्यों और सिद्धांतों को स्मरण करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है. जब हम उनमें से किसी एक बुनियादी सिद्धान्त पर चिंतन करते हैं, तो स्वाभाविक रूप से अन्य सभी सिद्धांतों पर भी हमारा ध्यान जाता है. संस्कृति, मान्यताओं और परम्पराओं की विविधता, हमारे लोकतंत्र का अंतर्निहित आयाम है. हमारी विविधता का यह उत्सव, समता पर आधारित है जिसे न्याय द्वारा संरक्षित किया जाता है.  यह सब स्वतंत्रता के वातावरण में ही संभव हो पाता है.  इन मूल्यों और सिद्धांतों की समग्रता ही हमारी भारतीयता का आधार है. 


डॉक्टर बी. आर. आंबेडकर के प्रबुद्ध मार्गदर्शन में प्रवाहित, इन मूलभूत जीवन-मूल्यों और सिद्धांतों में रची-बसी संविधान की भावधारा ने सभी प्रकार के भेदभाव को समाप्त करने के लिए सामाजिक न्याय के मार्ग पर हमें अडिग बनाए रखा है."


"मैं यह उल्लेख करना चाहूंगी कि सामाजिक न्याय के लिए अनवरत युद्धरत रहे, श्री कर्पूरी ठाकुर जी की जन्म शताब्दी का उत्सव कल ही संपन्न हुआ है. कर्पूरी जी पिछड़े वर्गों के सबसे महान पक्षकारों में से एक थे जिन्होंने अपना सारा जीवन उनके कल्याण के लिए समर्पित कर दिया था.  उनका जीवन एक संदेश था. अपने योगदान से सार्वजनिक जीवन को समृद्ध बनाने के लिए मैं कर्पूरी जी को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करती हूँ."


राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे गणतंत्र की मूल भावना से एकजुट होकर 140 करोड़ से अधिक भारतवासी एक कुटुंब के रूप में रहते हैं. दुनिया के सबसे बड़े इस कुटुंब के लिए, सह-अस्तित्व की भावना, भूगोल द्वारा थोपा गया बोझ नहीं है, बल्कि सामूहिक उल्लास का सहज स्रोत है, जो हमारे गणतंत्र दिवस के उत्सव में अभिव्यक्त होता है."