अमित भारद्वाज/दिल्ली: बीते कई दशकों से पंजाब का बिगड़ा हुआ माहौल अभी तक ठीक नही हो पा रहा है. 90 के दशक में कुछ अधिकारियों ने काफी जोर लगा कर प्रदेश का माहौल ठीक किया, लेकिन उसके बाद फिर से पंजाब जलने लगा है. आपको बतां दे कि पंजाब देश विरोधी ताकतों का हमेशा से केंद्र रहा है. इसीलिए वह आतंकवाद से लंबे समय तक जुंझता रहा और अभी भी जूंझ रहा है. गौरतलब है कि पंजाब की अशांति से पूरे देश में शोर मचता है. 


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आपको बता दें, आतंकवाद के बाद गैंगस्टरवाद से जूझ रहे पंजाब का गनकल्चर फिर चर्चा में है. अवैध हथियारों की खेप आना तो यहां कभी रुकी नही थी और अब साथ ही साथ लाइसेंसी हथियारों पुलिस के सामने नई मुसीबत बन गए हैं. बीते दिनों शिवसेना नेता सूरी की दिनदहाड़े हुई हत्या में लाइसेंसी हथियार का इस्तेमाल हुआ था. लाइसेंसी हथियार के मामलों में यूपी और जम्मू कश्मीर के बाद पंजाब तीसरा राज्य है, जहां लोगों के पास सबसे ज्यादा बंदूकें हैं. सूबे में करीब 55 लाख परिवार हैं और करीब चार लाख शस्त्र लाइसेंस. इस हिसाब से हर 14वें परिवार के पास एक लाइसेंसी हथियार मौजूद है. नेताओं व अधिकारियों ने मिलकर पंजाब में रेवड़ियों की तरह लाइसेंस बांटे हैं. कमिश्नरेट इलाकों को छोड़कर पंजाब के अन्य इलाकों में लाइसेंस जारी करने का अधिकार डीसी के पास होता है. 


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बता दें, कि इतने हथियारों का मतलब यही है कि पंजाब में सुरक्षा व्यवस्था लंबे समय से चरमराई हुई है और साथ ही जो लोग हथियारों के शौकीन हैं उन्हें भी सुरक्षा व्यवस्था के नाम पर हथियार रेवड़ियों की तरह बाटें गए. आपको जानकर हैरानी होगी कि यहां लोगों के पास फुली ऑटोमैटिक से लेकर बुल्गारिया और अमेरिका में बनी मैगनम जैसी विदेशी पिस्टल हैं. पंजाब के अमृतसर, बठिंडा, तरनतारन, संगरूर, फिरोजपुर, होशियारपुर और मुक्तसर जिलों में 42 प्रतिशत से अधिक बंदूक के लाइसेंस हैं, जबकि शेष 58 प्रतिशत पूरे पंजाब में हैं. सिर्फ बठिंडा में ही 25 हजार से ज्यादा वैध हथियार हैं. यह भी पता चला है कि पंजाब में आम लोगों के पास हथियारों की संख्या करीब 10 लाख से अधिक है. इतना ही नहीं कई असलहा धारकों ने एक लाइसेंस पर तीन-तीन हथियार ले रखे हैं.


यह हैरत की बात है कि दो साल पहले केंद्र सरकार ने एक लाइसेंस पर दो हथियार ही लिए जाने का आदेश दिया था. पहले धारकों के पास तीन-तीन हथियार होते थे. इसके बाद पंजाब में हथियारों के अपनी पत्नी व बच्चों के नाम ट्रांसफर करने की बाढ़ आ गई और नतीजा यह है कि पंजाब में 30 हजार से अधिक लाइसेंस महिलाओं के नाम पर हैं. आतंकवाद के दौर से पंजाब में हथियार रखने का चलन बढ़ा है. इसके बाद गैंगवार और कुछ पंजाबी गायकों ने गन कल्चर को महिमामंडित किया. 


पंजाब में गन कल्चर इसलिए भी बढ़ गया क्योंकि पुलिस का आज भी रवैया लोगों को सुरक्षा प्रदान करवाने और क्राईम रेट को कम करने का नहीं दिखाई दे रहा. आंकड़े बताते है कि पंजाब पुलिस के ढ़ीले और पेचिदा रविये के कारण आतंवाद के समय यहां फौज को बुलाना पड़ा था क्योंकि पुलिस पर भरोसा उठ चुका था क्योंकि पुलिस के कुछ लोग अपराधियों के साथ मिले हुए थे और वह लोगों को सुरक्षा प्रदान करने की बजाए अपराधियों को खबरें पहुंचाने और उनकी सेवा में लगे हुए थे. अगर हाल ही में बीती कुछ घटनाओं पर नज़र डालें तो पंजाब में हुए हर मामले में दूसरे राज्यों की मदद के बिना पंजाब पुलिस अपराधियों तक पहुंच ही नही पाई. दूसरे राज्यों की पुलिस पकड़ करती है और यह लोग उन्हें प्रोडक्शन वारंट पर लेकर आते है और तब भी जांच में कुछ निकाल नही पाते.


चलिए अब आपको बताते है कि लाइसेंस आवेदन करने वाले को डोप टेस्ट करवाना पड़ता है. उसकी रिपोर्ट के साथ आधार कार्ड, पैन कार्ड व दो साल की आयकर रिटर्न को लगाकर आवेदन करना पड़ता है. साथ ही बताना पड़ता है कि हथियार की जरूरत क्यों है? थानेदार अगर जरूरत समझे तो वह खुफिया विभाग से रिपोर्ट मांग सकता है. इतना ही नहीं पुलिस को अपनी जांच रिपोर्ट भी अटैच करना पड़ती है जिसमे पुलिस बताती है कि आवेदक के खिलाफ कोई आपराधिक केस है या नहीं, लेकिन यह नेटवर्क इतना मजबूत होता है कि नीचे से लेकर बडे़ साहब तक फाइल ओके लिखकर बढ़ा देते हैं.  


पंजाब में यह एक स्टेटस सिंबल भी बन गया है और साथ ही पराक्रम का प्रतीत भी. कोई समारोह हो या फिर शादी ब्याह लोग जमकर फायरिंग करते है जिससे मासूमों की कई मौते भी हुई है. इसी कल्चर के चलते बठिंडा के मंडी में विवाह समारोह में गोली चलने से घटित घटना में डांसर की मौत हो चुकी है.होशियारपुर में तो विवाह समारोह दौरान गोली से दूल्हा व उसका एक साथी गंभीर घायल होने की घटना हो गई थी इसके अलावा अमृतसर में भी एक तीन वर्षीय बच्ची की इसी प्रकार की घटना में मौत हो गई थी. 


लेकिन पंजाब में जिस तरहं से क्राईम राइट बढ़ रहा उसका कारण वैध नहीं अवैध हथियार है. खुलेआम पंजाब में अवैध हथियार मिल रहे है जिसपर कोई बात नही करना चाहता कि इन हथियारों का राज्य में आने का जरिया क्या है किस तरहं यह अपराधियों तक पहुंच रहे हैं और अक्सर देखा गया है कि जितने हथियार अक्सर पकड़े गए हैं वो सब अत्याधुनिक हथियार होते है और सब विदेशों में बने होते है. जितनी भी खेप पकड़ी जाती है उनमे इक्का दुक्का को छोड़ सभी वो हथियार होते है जिनका लाइसेंस बनता ही नही और जो केवल पुलिस फ़ोर्स और सेना के जवानों को ऑन ड्यूटी मिलते है और इस बारे कोई कुछ नहीं बोलता. कुछ लोगों का दावा है कि अब उनके लिए यह खतरा बन जाएगा जिन्होंने अपनी सुरक्षा के लिए हथियारों का लाइसेंस लिया हुआ है क्योंकि पुलिस की प्रदेश में हाल ही कि व्यवस्था चरमराई हुई है और उनका लोगों को सुरक्षा दे पाना मुश्किल है अगर उनके पास सेल्फ डिफेंस के लिए हथियार भी होंगे तो वह अपना बचाव भी नही कर पाएंगे. 


खास बात यह है कि पंजाब में सरकार माहौल को शांतिमय करना चाहती भी है या नही इसकी इच्छा शक्ति का पता ऐसे भी चलता है कि हमारे सरकार के आधिकारिक सूत्र बतातें है कि पंजाब सरकार ने तीन माह बीत जाने के बाद भी केंद्र सरकार को यह जानकारी उपलब्ध नहीं कराई है कि सूबे में अवैध हथियारों का प्रसार कैसे हो रहा है और गैंगस्टरों तक अवैध हथियार कैसे पहुंचते हैं. गृह मंत्रालय के इंटर स्टेट काउंसिल सचिवालय की ओर से पंजाब के मुख्य सचिव को भेजे पत्र में पंजाब सरकार से पूछा गया है कि सूबे की जेलों में बंद गैंगस्टरों द्वारा अपने विदेशी मददगारों के जरिये अंतरराज्यीय सीमा पार अपराध कैसे किए जा रहे हैं. राज्य सरकार से यह जानकारी भी देने को कहा गया कि विदेश भाग चुके अपराधियों, गैंगस्टरों के प्रत्यर्पण के लिए भारत सरकार को विभिन्न देशों के लिए दिए कितने प्रस्ताव लंबित हैं. 


गौरतलब है कि आगामी 31वीं उत्तर क्षेत्रीय परिषद की बैठक में शामिल किए जाने वाले विभिन्न 26 मुद्दों में से 9 पर गृह मंत्रालय ने पंजाब से विस्तृत जवाब देने को कहा था, लेकिन राज्य सरकार की ओर से अब तक गृह मंत्रालय को कोई जानकारी नहीं भेजी है. गृह मंत्रालय के ताजा पत्र में पंजाब सरकार को उपरोक्त मुद्दों पर जल्द से जल्द जवाब भेजने की ताकीद की गई है, ताकि इस मुद्दों पर केंद्र सरकार का सहयोग लिया जा सके. विशेष बात यह है कि उपरोक्त सभी मुद्दों को पंजाब सरकार द्वारा ही उत्तर क्षेत्रीय परिषद में उठाने का फैसला लिया गया है, लेकिन अब राज्य सरकार ही इन मुद्दों पर तथ्य साझा नहीं कर रही. 


मुख्यमंत्री भगवंत मान की ओर से पिछले महीने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात के दौरान, सीमावर्ती राज्य का हवाला देते हुए पंजाब में सीमापार से हथियारों व ड्रग की तस्करी, अपराधियों और गैंगस्टरों को मिल रही विदेशी मदद और विदेश में छिपे आतंकियों द्वारा सूबे में माहौल खराब करने के प्रयासों की रोकथाम के लिए सहयोग की मांग की गई थी. इन्हीं मुद्दों को उत्तर क्षेत्रीय परिषद की बैठक में उठाने का फैसला लिया गया था, लेकिन अब राज्य सरकार ही इन मुद्दों पर तथ्य साझा नहीं कर रही. 


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