राजेंद्र राणा ने सीएम सुक्खू पर लगाए गंभीर आरोप, कहा अपने मित्रों पर खजाना लुटा रहे CM
Himachal Pradesh News: सरकार को अस्थिर करने के आरोपों पर बालूगंज थाने में पेश हुए पूर्व विधायक, राजेंद्र राणा, देवेंद्र भुट्टो, केएल ठाकुर, राजेंद्र राणा ने सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू पर तीखे हमले बोले. उन्होंने कहा कि सीएम अपने मित्रों पर खजाना लूटा रहे हैं. उन्होंने दो साल में एक भी गारंटी पूरी नहीं की है.
समीक्षा कुमारी/शिमला: राज्यसभा चुनाव के दौरान हिमाचल की कांग्रेस सरकार को अस्थिर करने के आरोपों पर आज पूर्व विधायक राजेंद्र राणा, देवेंद्र भुट्टो केएल ठाकुर बालूगंज थाने में पेश हुए. इस दौरान पूर्व विधायक राजेंद्र राणा ने कहा कि राज्यसभा में अपनी अंतर्रात्मा की आवाज सुनकर बाहरी प्रत्याशी की बजाय भाजपा के प्रत्याशी को वोट दिया, जिससे सरकार नहीं गिरती उल्टा सरकार ने सदस्यता रद्द कर दी. जहां तक फाइव स्टार होटल्स और हेलीकाप्टर में सफर करने की बात है तो मैं साधन सम्पन्न हूं और आधी जिंदगी फाइव स्टार होटल्स में ही गुजारी है. सरकार चाहे तो इनकम टैक्स विभाग में शिकायत कर ले.
वहीं राजेंद्र राणा ने सीएम सुक्खू पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि मुख्यमंत्री झूठी गारंटियां देकर सत्ता में आए हैं. मुख्यमंत्री से सरकार चल नहीं पा रही है. आर्थिक प्रबंधन में सीएम फेल हो गए हैं. राणा ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री बार-बार चंडीगढ़ जाते रहते हैं और हिमाचल भवन में रुकने की बजाय फाइव स्टार होटल्स में ठहरते हैं, वहां वे किससे मिलते हैं और उनका खर्चा कौन उठाता है यह अपने आप में बड़ा प्रश्न है.
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इसके साथ ही कहा कि ना युवाओं को नौकरियां मिल रही हैं और ना ही कर्मचारियों की मांगों को सुक्खू सरकार पूरा कर पा रही है. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू झूठ बोलने में माहिर हैं. वे देश में सबसे संवेदनहीन सीएम हैं. इस उपलब्धि के लिए सीएम सुक्खू को गोल्ड मेडल दिया जा सकता है. मुख्यमंत्री को किसी से मिलने के लिए समय नहीं है जब भी कोई मिलने आता है तो वे किसी दूसरे कार्य में व्यस्त होने का बहाना लगा देते हैं.
राजेंद्र राणा ने कहा कि यह सरकार सिर्फ जनता पर बोझ डालने आई है, लेकिन अब जनता अपने कंधों पर सरकार द्वारा डाले जा रहे इस बोझ को सहन नहीं कर पा रही है. जल्द ही जनता इसका जवाब देगी. राणा ने कहा कि आज हिमाचल प्रदेश का कर्मचारी वर्ग भी सरकार के खिलाफ आवाज उठाने के लिए आगे आ चुका है, लेकिन मुख्यमंत्री कर्मचारियों का दर्द समझने की बजाय उनसे आमने-सामने की लड़ाई लड़ने का ऐलान करने से भी गुरेज नहीं कर रहे.
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