Sawan Kab Hai: बाबा भोलेनाथ के भक्तों का सबसे प्रिय महीना सावन कल यानी 4 जुलाई से शुरू हो रहा है. जिसको लेकर पूरे देश के तमाम बड़े शिव मंदिरों में तैयारी चल रही है. वहीं सावन का पहला सोमवार 10 जूलाई को है. 


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वहीं हिमाचल प्रदेश के ऊना जिले के बनौड़े महादेव मंदिर में जहां एक खंडित शिवलिंग के रूप में भगवान शिव-पार्वती विराजमान हैं . पांडवों द्वारा निर्मित इस मंदिर में सच्चे मन से अगर कोई भक्त शिवलिंग का जल से अभिषेक करे तो उसकी मुराद पूरी हो जाती है . ये शिवलिंग बीच में से कटा हुआ है . कहते हैं इसके एक ओर भगवान शिव और दूसरी तरफ मां पार्वती विराजमान है. 


ऊना के इस महादेव मंदिर में सोमवार सुबह से ही भक्तों की भीड़ लगी हुई है. लोग शिवलिंग पर जल चढ़ाने के लिए सुबह से ही मंदिर में पहुंचना शुरू हो गए हैं. ऐसी मान्यता है कि आज जहां पर ये मंदिर है कभी वहां पर एक राक्षस रहता था , जो देवताओं को काफी परेशान करता था . इस राक्षस को भगवान ब्रम्हा से वर प्राप्त था कि न तो उसे कोई नर मार सकता था और न ही कोई नारी मार सकती. इसी वर के अभिमान में चूर वो राक्षस देवताओं को परेशान करता रहता था . तब भगवान शिव ने इस राक्षस के जुल्म से देवताओं को छुटकारा दिलाने के लिए अर्धनारीश्वर का अवतार लिया था और इसी स्थान पर उस राक्षस का वध किया था . 


जिसके बाद भगवान शिव यहां मां पार्वती के साथ अर्धनारीश्वर के रूप में सदा के लिए खंडित शिवलिंग के रूप में विराजमान हो गए . बाद में पांडवों ने यहां पर इस मंदिर का निर्माण किया था और पूजा अर्चना की थी. पुजारी के मुताबिक यह प्राचीन मंदिर 6 हजार साल से ज्यादा पुराना है. 


शिवालिक की पहाड़ियों के बीच बने इस मंदिर में कहते हैं जो भी सच्चे मन से खंडित शिवलिंग के रूप में भगवान शिव-पार्वती के अर्धनारीश्वर स्वरुप को जलाभिषेक करता है. उसके मन की मुराद जरूर पूरी होती है . ऐसी मान्यता है कि इस स्थान पर आकर बिन मांगे ही भगवान शिव-पार्वती आपकी मनोकामना पूरी करते ह कहते हैं.  


इस मंदिर में भगवान शिव तो अपने भक्तों को आशीर्वाद देते ही हैं. साथ ही मां पार्वती भी सुहागिनों को सदा सुहागिन और पुत्रवती का आशीर्वाद देती हैं . ऐसे में सावन माह में शिव के दर्शन के लिए भक्तो का तांता लग जाता है.  आज सोमवार है और मान्यता है की सावन माह में शिव की पूजा करने से शिव अपनी विशेष कृपा करते है. यही वजह है की लोग बेल पत्र और दूध से शिवलिंग का श्रृंगार कर भगवान की पूजा करते हैं.  


वहीं, मंदिर में माथा टेकने आने वाले श्रद्धालुओं के मुताबिक, इस मंदिर में आकर उन्हें आत्मिक शांति मिलती है और उनके मन को एक ऐसी ऊर्जा प्राप्त होती है जिसका वह आकलन नहीं कर सकते. श्रद्धालुओं के मुताबिक भगवान भोलेनाथ से सच्चे मन से भी अगर कोई मुराद मांगता है, तो भगवान उसकी मनोकामना जरूर पूरी करते हैं.