Scrub Typhus: चूहे के काटने से फैल रही ये बीमारी, संक्रमित होने पर हो सकती है मौत
Scrub Typhus: स्क्रब टाइफस एक जीवाणु संक्रमण से होने वाली बीमारी है जो विशिष्ट बैक्टीरिया रिकेट्सिया नाम के समूह से संबंधित है. यह रोग पिस्सू, घुन, आदि जैसे छोटे कीड़ों के काटने से फैलता है. स्क्रब टाइफस के मामले में संक्रमण छोटे लार्वा माइट्स के माध्यम से फैलता है.
समीक्षा कुमारी/शिमला: हिमाचल प्रदेश में इन दिनों स्क्रब टायफस नाम की बीमारी फैली हुई है. इसके लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से एडवायजरी जारी की गई है.
डायरेक्टर हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर के निदेशक गोपाल बेरी ने कहा है कि स्क्रब टायफस एक जीवाणु से संक्रमित माईट है, जिसे स्थानीय भाषा में पिस्सू कहा जाता है जो खेतों, झाडियों और घास में रहने वाले चूहों में के काटने से फैलती है. यह जीवाणु चमड़ी के माध्यम से शरीर में फैलता है और स्क्रब टाइफस बुखार बन जाता है.
इन दिनों झाडियों से दूर रहें और घास आदि के बीच न जाएं. हालांकि किसानों और बागवानों के लिए यह संभव नहीं है, क्योंकि आगामी दिनों में खेतों और बगीचों में घास काटने का काम ज्यादा रहता है. यही कारण है कि स्क्रब टायफस का शिकार होने वाले लोगों में किसान और बागवानों की संख्या ज्यादा रहती है.
स्क्रब टायफस होने से शुरू में कोई दर्द नहीं होता है. घास में जाने पर अगर कोई कीट काट ले तो कुछ समय बाद वहां काले निशान पड़ने शुरू हो जाते हैं. ऐसे में लोगों को तुरंत अस्पताल जाकर जांच करवानी चाहिए.
ये भी पढ़ें- Himachal Pradesh News: हमीरपुर में लॉन्च होने जा रहा प्रोजेक्ट क्लीन स्ट्रीट हब
ये हैं स्क्रब टायफस के लक्षण
स्क्रब टायफस होने पर मरीज को तेज बुखार आता है. जोड़ों में दर्द, ठंड के साथ बुखार, शरीर में ऐंठन, अकडन और शरीर टूटा हुआ लगने लगता है. अधिक संक्रमण में गर्दन, बाजू और कूल्हों के नीचे गिल्टियां होने लगती हैं.
स्क्रब टायफस से बचने के उपाय
इस समय लोगों को साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए. घर व आसपास के वातावरण को साफ रखें, कीटनाशक दवा का छिडक़ाव करें. मरीजों को डॉक्सीसाइक्लन और एजिथ्रोमाईसिन लेनी चाहिए. बता दें, स्क्रब टायफस की शुरुआत आम बुखार से होती है, लेकिन यह सीधे किडनी और लीवर पर अटैक करता है. यही कारण है कि इसमें मरीजों की मौत हो जाती है.
ये भी पढ़ें- Himachal Pradesh: इस माह के अंत तक नंगल रेलवे ओवर ब्रिज कार्य पूरा होने की संभावना
स्क्रब टाइफस का इलाज
स्क्रब टाइफस का उपचार एंटीबायोटिक दवाओं, विशेष रूप से डॉक्सीसाइक्लिन से होता है. यह किसी भी उम्र के रोगियों को दिया जा सकता है जब तक कि अन्य चिकित्सीय स्थितियां इसके उपयोग को प्रतिबंधित न करें, हालांकि इसमें शामिल प्रक्रियाओं के कारण निदान की पुष्टि में समय लग सकता है, जितनी जल्दी एंटीबायोटिक्स ली जाएंगी, दवा उतनी ही अधिक प्रभावी होगी और रिकवरी भी उतनी ही तेजी से होगी.
5 सालों में इतने मामले आए थे सामने
साल 2019 में स्क्रब टायफस से 1597 संक्रमित मामले सामने आए थे. इनमें से 14 लोगों की मौत हो गई थी. वहीं, 2020 में 565 पॉजिटिव मामले सामने आए थे, इनमें से 6 लोगों की मौत हो गई थी. इसके अलावा 2021 में 977 संक्रमित मामले मिले थे. जिनमें से 7 लोगों की मौत हो गई थी. इसके साथ ही 2022 में 1527 मामले दर्ज किए गए थे, जिनमें से 26 लोगों की मौत हुई थी. 2023 में अब तक 242 मामले संक्रमण के सामने आए हैं हालांकि इनमें किसी की मौत नहीं हुई है.
ये भी पढ़ें- गोविंद सागर झील के लठियानी घाट पर मिला पौने तीन किलो का पानी मे तैरता हुआ पत्थर
स्वास्थ्य विभाग द्वारा एडवाइजरी जारी
माइट के काटने से यह रोग मनुष्यों में फैलता है. खासकर किसान बागवान सैन्य व आम लोग इसका ज्यादा शिकार होते हैं. बता दें, चूहा, गिलहरी बैंडीकूट जैसे जानवर इस बीमारी के वाहक हैं. बता दें, जिस जगह ये कीट काटते हैं वहां काले धब्बे हो जाते हैं. इसके साथ ही तेज बुखार, सिर दर्द, शरीर और मासपेशियों में दर्द, शरीर में गांठ बन जाना जैसी समस्याएं होने लगती हैं.
ऐसे करें बचाव
बता दें, इस बीमारी से बचने के लिए जंगलों और झाड़ियों वाले स्थान पर जाने से पहले शरीर को ढककर निकलें. DEET रेपेलेंट का प्रयोग करें. घर के आसपास झाड़ियों और वनस्पतियों में DMP इत्यादि कीटनाशक स्प्रे का छिड़काव करें. पालतू पशुओं और उनके रहने की जगह को साफ रखें.
संक्रमित माइट के काटने से बचने के लिए जमीन पर न सोएं.
WATCH LIVE TV