Shimla News: हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा सचिवालय कर्मचारियों के लिए जारी ड्रेस कोड के फरमान को लेकर बवाल बढ़ गया है. कर्मचारी नेताओं सरकार के फैसले पर कई सवाल खड़े कर दिए है. सोमवार को राज्य सचिवालय कर्मचारी नेताओं ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि उन्हें सरकार के फैसले से कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन सरकार ने जो फैसला लिया है वो चतुर्थ श्रेणी से लेकर अधिकारियों के स्तर तक लागू हो क्यूंकि सरकार ने यह फैसला पहले भी 2017 मे लिया था, लेकिन बाद मे सबसे पहले अधिकारी ही पेंट शर्ट मे आना शुरू हुए थे. 


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उन्होंने कहा कि फैसले में उच्च अधिकारियों में व अन्य कर्मचारियों में किसी तरह का भेदभाव ना हो और सरकार ने जिस तरह फैसला लिया है जो कि कर्मचारी ड्रेस में नहीं आएगा. उसके ऊपर अनुशासनात्मक कार्यवाही होंगी. उस पर कर्मचारी नेताओं ने मांग करते हुए कहा कि सरकार इसे एकदम लागू ना करें. ड्रेस बनवाने के लिए सरकार कम से कम डेढ़ से दो महीनों का सभी कर्मचारियों को समय दे ताकि वह अपनी ड्रेस बनवा सकें.


राज्य सचिवालय कर्मचारी सेवाएं संघ के अध्यक्ष संजीव शर्मा ने कहा कि प्रदेश सरकार ने कर्मचारियों के ड्रेस कोड को लेकर 2017 मे भी एक फैसला लिया था, लेकिन उस समय भी अधिकारियों ने फैसले के बाद पहले जींस टी शर्ट में आना शुरू किया था और फिर अन्य कर्मचारियों ने भी जींस टी शर्ट पहननी शुरू की और आज उन्हें जानकरी मिली है कि सरकार ने ड्रेस कोड को लेकर एक फरमान जारी किया कि कर्मचारियों को ड्यूटी के समय फॉर्मल ड्रेस पहननी पड़ेगी.


उन्हें सरकार के फैसले से कोई दिक्क़त नहीं है, लेकिन यह फैसला सभी कर्मचारियों चतुर्थ श्रेणी से लेकर अधिकारियों तक सभी पर एक समान रूप से लागू होना चाइए. कर्मचारी नेता ने सरकार से मांग करते हुए कहा कि सरकार इसे जल्दबाजी में लागू ना करें कर्मचारियों को ड्रेस बनवाने के लिए करीबन ढ़ेड से दो महीने का वक्त दें. ताकि वो अपनी ड्रेस बनवा सके. 


संजीव शर्मा ने कहा कि सरकार यदि ड्रेस कोड में कर्मचारियों के लिए सामान्य फॉर्मल पेंट शर्ट निर्धारित करती है. तब कर्मचारियों को कोई दिक्क़त नहीं है लेकिन यदि प्राइवेट सेक्टर की तरह कोई स्पेशल कोड या कोट ड्रेस निर्धारित करती है. इसका कर्मचारियों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ बढ़ेगा. जिसके लिए प्रदेश सरकार कर्मचारियों के लिए लोन की सुविधा दें क्यूंकि प्रदेश मे भौतिक परिस्थितियां अलग-अलग है. जिससे सर्दी के मौसम मे कोट पेंट के साथ स्वेटर की भी आवश्यकता पड़ती है.


ऐसे में एक ड्रेस कोड यानी एक कोट पेंट शर्ट व स्वेटर बनाने के लिए दस हजार तक ख़र्च होंगे और कर्मचारियों को दो से तीन ड्रेस कोड की आवश्यकता पड़ेगी जिससे कर्मचारियों पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा. जिसके लिए सरकार लोन की सुविधा दें.