Dharamshala News: पूर्व मुख्यमंत्री व भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता शांता कुमार ने पालमपुर में पत्रकारों को सम्बाधित किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि 25 जून, 1975 का दिन आजाद भारत के इतिहास में सबसे काला दिन था. उस समय की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने रात 12 बजे आपातकाल की घोषणा कर दी थी. 


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विश्व के किसी भी सभ्य लोकतंत्र में कभी ऐसा नहीं हुआ था.  देश की जनता को उस रात की निंदनीय घटना को हमेशा याद रखना चाहिए. पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने कहा कि उस समय देश में न विदेशी आक्रमण हुआ था, न कोई भूचाल आया था और न ही देश के अंदर किसी प्रकार की समस्या थी. 12 जून को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक चुनाव याचिका के निर्णय में उस समय इंदिरा गांधी का चुनाव भ्रष्ट तरीके से जीते जाने के कारण रद्द कर दिया था और उन्हें छह वर्ष तक चुनाव के लिए अयोग्य ठहरा दिया था. 


ऐसे में केवल एक नेता की कुर्सी के लिए देश को जेल खाना बना दिया था. एक लाख 10 हजार विपक्षी नेताओं को जेलों में डाल दिया था. शांता कुमार उस समय विधायक थे और 23 जून को शिमला जा रहे थे. इस दौरान पत्नी ने पूछा था कि कब लौटेंगे तो जवाब दिया था, कल बैठक है और परसों तक आ जाऊंगा।. 


भाजपा नेता के अनुसार वह परसों 19 माह तक नहीं आया था.  वह उस समय 19 माह नाहन जेल में रहे थे. 90 लोग जेल की यातनाओं से मृत्यु को प्राप्त हुए थे. उन्होंने आगे बताया कि पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि इस दिन को भारत याद रखे और भविष्य में कभी भी इस प्रकार की घटना न घटे.  नाहन जेल में वेदांत, विवेकानंद और ओशो की पुस्तकों को पढ़ने का मौका मिला था. 


उन्होंने जेल में दो पुस्तकें लिखी थीं. आजाद भारत के समय में आपातकाल का समय अति दुर्भाग्यपूर्ण था.
हालांकि, इस लोकसभा चुनाव परिणाम से वह बहुत खुश हैं, जिसके लिए भारत की जनता का धन्यवाद है. नरेंद्र मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री बने हैं. 


राहुल गांधी के संविधान बचाने के बयान को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने कहा कि जिनकी पार्टी ने 50 साल पहले इसी संविधान को रौंद दिया था. संविधान के मौलिक अधिकारों को खत्म कर दिया था.  उन्होंने कहा कि विपक्ष को सकारात्मक काम करना है. केवल विरोध करना नहीं है. 


देश का दुर्भाग्य है कि विपक्ष अपनी जिम्मेदारी नहीं समझता है. लोकतंत्र के दोनों पहिए पक्ष और विपक्ष अगर ठीक चलते हैं तो लोकतंत्र चलता है, लेकिन पहिए आजकल चलते नहीं ब्रेक लगाते हैं. विरोध के लिए विरोध किया जाता है. 


वहीं, शांता कुमार ने देहरा उपचुनाव को लेकर कहा कि पूरे हिमाचल की कांग्रेस में कोई व्यक्ति नहीं था , क्या पूरी विधानसभा में कोई व्यक्ति नहीं था जो विधानसभा चुनाव लड़े. मेरे हिसाब से देश में यह पहली मिसाल होगी कि किसी प्रदेश का मुख्यमंत्री अपनी धर्मपत्नी को चुनाव लड़ा रहा है. ऐसा शायद कहीं नहीं हुआ होगा. 


रिपोर्ट- अनुप चंद धीमान, पालमपुर