Anti Sikh Riots: 1984 के सिख विरोधी दंगों के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे बलवंत खोखर की जमानत अर्जी पर फिलहाल SC ने सुनवाई से इंकार कर दिया है.  खोखर को ओर से वकील ने दलील दी कि उनका मुवक्किल 9 साल जेल मे रह चुका है. इसपर कोर्ट ने कहा कि ये कोई ऐसा केस नहीं है कि 9 साल बाद भी आपको जमानत मिल ही जाए. हम सह आरोपी के अर्जी के साथ नियमित प्रकिया के तहत ही सुनवाई करेंगे. 


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बता दें, पिछले महीने 3 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस के पार्षद रहे बलवान खोखर की जमानत याचिका पर सीबीआई से जवाब मांगा था. जस्टिस एस के कौल और अभय एस ओका की पीठ ने इस बात पर ध्यान दिया था कि खोखर 50 प्रतिशत विकलांग होने के साथ अब तक 8 साल और 10 महीने की कैद काट चुके हैं.


दरअसल, इससे पहले मई 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस के पूर्व नेता सज्जन कुमार को स्वास्थ्य आधार पर अंतरिम जमानत या पैरोल देने से इनकार कर दिया था. सज्जन कुमार और बलवान खोखर दिल्ली हाईकोर्ट की ओर से 17 दिसंबर 2018 को मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद से तिहाड़ जेल में बंद हैं.


बता दें, नवंबर 1984 को पालम के राजनगर में पांच सिखों की हत्या के मामले में निचली अदालत के अप्रैल 2013 के फैसले को पलटते हुए सज्जन कुमार आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. निचली अदालत के उस फैसले को कायम रखा था कि जिसमें बलवान खोखर, कैप्टन भागमल, गिरधारी लाल, पूर्व विधायक महेंद्र यादव व कृष्ण खोखर को सजा सुनाई गई थी. निचली अदालत ने बलवान खोखर, गिरधारी लाल व भागमल को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी.


साल 2013 में कोर्ट ने बलवान खोखर, भागमल और लाल को आजीवन कारावास और किशन खोखर को तीन साल की जेल की सजा सुनाई थी. हाईकोर्ट के फैसले के बाद यादव और किशन खोखर की सजा को बढ़ाकर 10 साल कर दिया गया है.


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