Tomato Price: आहा टमाटर बड़े मजेदार! बीते काफी समय से आपने कई लोगों को इन लाइनों को गुनगुनाते हुए देखा होगा, लेकिन असल में फेस्टिवल सीजन में इन लाल-लाल मजेदार टमाटरों ने लोगों के स्वाद का मजा खराब कर दिया है. 


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टमाटर के दाम बढ़ने से उत्पादकों की बल्ले-बल्ले
जी हां, फेस्टिवल सीजन में टमाटर के दाम आसमान छू रहे हैं. ऐसे में उपभोक्ताओं की जेब पर खासा बोझ बढ़ रहा है, लेकिन उत्पादकों की बल्ले-बल्ले हो रही है. सिरमौर जिला के पहाड़ी क्षेत्रों में बेमौसमी टमाटरों के उत्पादकों के चेहरे खिले हुए हैं. आजकल उत्पादकों को लगभग दुगने दाम मिल रहे हैं.


100 रुपये से लेकर 140 रुपये प्रति किलो हुए  
लाल टमाटर खाने का स्वाद बढ़ाने के साथ-साथ पोषण से भी भरपूर होते हैं. यही कारण है कि भारतीय खाने में टमाटर प्रमुख तौर पर उपयोग होता है, लेकिन आजकल भोजन की थाली का जरूरी हिस्सा 'टमाटर' खरीदारों की जेब पर बोझ बढ़ा रहा है. बाजार में टमाटर के दाम 100 रुपये से लेकर 140 रुपये प्रति किलो हो गए हैं. 


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टमाटर उत्पादकों को मिल रहा दो गुना दाम 
टमाटर के दाम बढ़ने का कारण इन दिनों कम पैदावार होना माना जाता है. मैदानी क्षेत्रों में जहां टमाटर की पैदावार लगभग खत्म हो गई है, वहीं पहाड़ी क्षेत्रों में बे-मौसमी टमाटर धूम मचा रहा है. पहाड़ों में किसानों के लिए टमाटर लाल सोना साबित हो रहा है. उत्पादकों को टमाटर के लगभग दो गुना दाम मिल रहे हैं, जिसकी वजह से उत्पादक न सिर्फ उत्साहित हैं, बल्कि उनकी आमदनी में भी बढ़ोतरी हुई है.


सिरमौर जिला के पहाड़ी क्षेत्रों में किसान बड़ी मात्रा में बे-मौसमी टमाटर उगाते हैं. इस बार टमाटर की अच्छी फसल हुई है. मौसम ने भी साथ दिया है और दाम भी अच्छे मिल रहे हैं. किसानों का कहना है कि पहाड़ी क्षेत्रों में सिंचाई के साधनों और मंडियों की कमी होने की वजह से किसान अधिक उत्पादन नहीं कर पा रहे हैं. अगर किसानों को और अधिक सुविधाएं मिलें तो बे-मौसमी टमाटर इस क्षेत्र में आर्थिक क्रांति ला सकता है. 


(ज्ञान प्रकाश/पांवटा साहिब)


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