Mallikarjun Kharge News: कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने भारतीय जनता पार्टी की सांसद कंगना रनौत की एक टिप्प्णी को लेकर बुधवार को आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ पार्टी की रग-रग में किसान विरोधी नफरती मानसिकता बसी हुई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी के खिलाफ है. 


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कंगना ने मंगलवार को कहा था, 'कृषि कानून निरस्त किए गए हैं उन्हें वापस लाया जाना चाहिए. मुझे लगता है कि यह विवादास्पद हो सकता है. किसानों के हित में कानून वापस लाए जाएं. किसानों को खुद इसकी मांग करनी चाहिए, ताकि उनकी समृद्धि में कोई रुकावट नहीं रहे. भाजपा ने उनके बयान से दूरी बनाते हुए कहा है कि यह उनकी निजी राय है.


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खरगे ने 'एक्स' पर पोस्ट करते हुए लिखा, '750 किसानों की शहादत के बाद भी किसान विरोधी भाजपा और मोदी सरकार को अपने घोर अपराध का अहसास नहीं हुआ. किसान-विरोधी तीन काले कानूनों को फिर से लागू करने की बात की जा रही है. कांग्रेस पार्टी इसका कड़ा विरोध करती है. उन्होंने कहा कि किसानों को गाड़ी के नीचे कुचलवाने वाली मोदी सरकार ने हमारे अन्नदाता के लिए कटीले तार, ड्रोन से आंसू गैस, कीलें और बंदूकें इन सबका इस्तेमाल किया. उन्होंने कहा कि ये सब कुछ भारत के 62 करोड़ किसान कभी भूल नहीं पाएंगे.


कांग्रेस अध्यक्ष ने दावा किया कि इस बार हरियाणा समेत सभी चुनावी राज्यों से खुद प्रधानमंत्री की संसद में किसानों के लिए  आंदोलनजीवी और परजीवी जैसी अपमानजनक टिप्पणी किए जाने का करारा जवाब मिलेगा. उन्होंने कहा, पीएम मोदी की बयानबाजी के चलते उनके मंत्रियों और सांसदों व दुष्प्रचार तंत्र को किसानों का अपमान करने की आदत हो गई है. 


खरगे ने कहा, 10 वर्षों में मोदी सरकार ने देश के अन्नदाताओं से किए गए अपने तीन वादे तोड़े हैं. ये तीनों वादे साल 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करने, स्वामीनाथन रिपोर्ट के मुताबिक लागत और 50 प्रतिशत एमएसपी लागू करने और एम एसपी को कानूनी दर्जा देने के थे. उन्होंने आरोप लगाया कि किसान आंदोलन वापस लेते समय पीएम मोदी ने सरकारी समिति की घोषणा की थी जो आज भी ठंडे बस्ते में है. 


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उन्होंने दावा करते हुए कहा, मोदी सरकार एमएसपी की कानूनी गारंटी के खिलाफ है. खरगे ने कहा, 'शहीद किसानों के परिवारों को कोई राहत नहीं दी गई. संसद में मोदी सरकार ने उनकी याद में दो मिनट का मौन रखना भी मुनासिब नहीं समझा ऊपर से लगातार उनका चरित्र हनन जारी है. उन्होंने कहा कि पूरा देश जान गया है कि भाजपा की रग-रग में किसान विरोधी नफरती मानसिकता बसी है. 


किसानों के विरोध के बाद तीन कृषि कानून- कृषक उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) अधिनियम, कृषक (सशक्तीकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार अधिनियम और आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम को नवंबर 2021 में निरस्त कर दिया गया था. किसानों का विरोध नवंबर 2020 के अंत में शुरू हुआ था और संसद द्वारा तीनों कानूनों को निरस्त करने के बाद समाप्त हुआ. ये कानून जून 2020 में लागू हुए थे और नवंबर 2021 में निरस्त कर दिए गए. 


(भाषा)