Barnala News: किसी ने सच ही लिखा है "नारी अबला नहीं सबला है" आज दुनिया के हर क्षेत्र में लड़कियां, महिलाएं अपनी काबिलियत और हुनर को साबित कर रही हैं और हर क्षेत्र में बढ़-चढ़कर कामयाबी की बुलंदियां हासिल कर रही हैं और इसी तरीके बरनालाके एक छोटे से गांव की गरीब लड़कियां शिक्षा की पाठशाला चला एक मिसाल पैदा कर रही हैं, जो अपने आसपास के इलाके को पढ़ा लिखा कर शिक्षा का ज्ञान बांट रही है. ऐसी बच्चियों का हमें साथ देना चाहिए और मौके की और देश की सरकारों को भी इन बच्चियों को सम्मानित करना चाहिए. 


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बरनाला के गांव में एक कच्चे घर में रह रही गरीब परिवार की पढ़ी-लिखी लड़की ज्योति और उसकी भाभी सिमरन लोगों के लिए मिसाल बन गई हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि वो दोनों खुद पढ़ भी रही हैं और अपने गांव के आसपास के गरीब और जरूरतमंद बच्चों को अपने घर "शिक्षा की पाठशाला" में फ्री शिक्षा देने का काम कर रही हैं. 


उन बच्चों के लिए कॉपी, किताब, स्टेशनरी, गर्म कपड़े, जूते ड्रेस का इंतजाम भी शहर के दानी सज्जनों से पूरा करवा कर देती है. बता दें, दोनों तकरीबन 65 बच्चों को शिक्षा का ज्ञान दे रही हैं. ज्योति पोस्ट ग्रेजुएट B.A. PGDCA की हुई है और उसकी भाभी सिमरन साथ-साथ पढ़ाई भी कर रही है. 


वहीं, इन लड़कियों की मदद के लिए दानी सज्जन भी बढ़-चढ़कर आगे आए और बच्चों के लिए एक्स्ट्रा क्लासेस और स्कूल में पढ़ने वाली कॉपी किताबों का खाने पीने का भी फ्री इंतजाम कर दे रहे हैं. वहीं, ज्योति और सिमरन पंजाब सरकार की शिक्षा प्रणाली पर प्रशंसा करते भी नजर आए. 


इस शिक्षा की पाठशाला में छोटे-छोटे, नन्हे-मुन्ने बच्चे बड़े ही उत्साहित होकर पढ़ाई करते नजर आते हैं और इस पाठशाला में हिंदी, पंजाबी, इंग्लिश भाषा के अलावा अलग-अलग एक्टिविटीज पेंटिंग-डांसिंग आदि भी सिखाई जाती है. 


जब ZEE मीडिया की टीम की इन होनहार लड़कियां ज्योति और सिमरन से विशेष बातचीत हुई, तो उन्होंने बताया कि वह बहुत ही गरीब परिवार से संबंध रखती हैं. उन्होंने अपनी पढ़ाई बड़ी ही मुश्किल से और मेहनत से पूरी की है और आज पढ़ाई पूरी कर अपने समय का सही इस्तेमाल करते इन बच्चों को पढ़ा रही हैं. 


ज्योति और सिमरन ने बताया कि उन्होंने गरीबी रेखा में किस तरीके से अपनी पढ़ाई पूरी की है. वह अच्छी तरह जानती हैं. इसी मकसद से उन्होंने यह बच्चों की पाठशाला शुरू की है कि कोई भी बच्चा आज पढ़ाई के बिना अधूरा ना रहे और पढ़ लिखकर वह भी अच्छे नागरिक बन सके.  उनके पास आज 65 के करीब आसपास और उनके मोहल्ले के बच्चे पढ़ने आते हैं, जिनमें से ज्यादातर बच्चे उन परिवारों में से हैं. जिनके परिवार बच्चों को पढ़ने में असमर्थ हैं. 


वही ज्योति और सिमरन पंजाब सरकार की शिक्षा प्रणाली पर प्रशंसा करते बोले कि पंजाब सरकार शिक्षा के स्तर को अच्छा कर रही है, लेकिन वह हमारे जैसे पढ़े-लिखे बच्चों को अच्छी नौकरी दे दें, तो हम इन बच्चों को और बेहतर अच्छी शिक्षा दे सकते हैं. 


ज्योति की माता मनजीत कौर ने बताया कि वह कैंसर की मरीज है और उनके पति का एक्सीडेंट हो चुका है बड़ी मेहनत मजदूरी से उन्होंने अपनी लड़कियों को अच्छी शिक्षा दी है. परिवार बड़ी मुश्किल से गुजर बसर कर रहा है पर उनकी लड़कियां बच्चों को फ्री शिक्षा दे रही हैं. हमें बड़ा गर्व महसूस होता है.  वह पंजाब सरकार से अपनी बच्चों के लिए नौकरी की मांग कर रही है ताकि वो बच्चों को और अच्छे तरीके से अच्छी शिक्षा दे सके.


वहीं, शहर के दानी सज्जनों ने इन बच्चों की इस फ्री शिक्षा पाठशाला की प्रशंसा करते कहा कि इन दोनों लड़कियों की तरफ से इस तरीके की शिक्षा के प्रति समर्पण की भावना और बच्चों को फ्री शिक्षा देने की लगन को देखकर पंजाब सरकार को भी इस तरीके की पाठशालाओं को प्रोत्साहित करना चाहिए था.  ताकि शिक्षा हर घर तक पहुंच सके और इस तरीके की फ्री सेवा करने वाली लड़कियों को भी पंजाब सरकार द्वारा अच्छा मौका देना चाहिए ताकि यह और अच्छे तरीके से अपने आसपास के इलाके और गांव में शिक्षा का प्रचार कर सके.