देवेंद्र शर्मा/बरनाला: गणेश उत्सव के चलते गणेश पूजन के तहत इस बार बरनाला में (इको फ्रेंडली) पर्यावरण के अनुकूल गणेश जी की कच्ची मिट्टी की मूर्तियों को विसर्जित करने का प्रचलन देखने को मिल रहा है. श्रद्धालुओं ने अपने घर के बाहर पानी के बर्तनों व पात्रों में गणपति जी का विसर्जन किया और इस विसर्जन के पानी को अपने घरों के पेड़-पौधों में डालकर पर्यावरण को प्रफुलित करने का संदेश भी दिया.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

इको फ्रेंडली गणपति जी का किया गया विसर्जन
देशभर में लाखों की संख्या में गणपति जी की मूर्तियां नदी नहरों में विसर्जित की जाती हैं, जिससे पर्यावरण, पॉल्यूशन और नदी नहरों में रहने वाले जीव-जंतु मछलियों का बड़ी संख्या में हनन होता है. इन सभी को बचाना हमारी जिम्मेदारी है, इसलिए भक्त इस बार मिट्टी के बने इको फ्रेंडली गणपति जी की मूर्ति लेकर आए हैं जो कम समय में पानी में घुल जाते हैं. खास बात यह है कि इसका कोई नुकसान भी नहीं होता है. 


ये भी पढ़ें- Shradh 2023: इस तारीख से लग रहा पितृ पक्ष, जानें क्या है श्राद्ध का महत्व


स्थापना के बाद ऐसे किया जाता है गणपति जी का विसर्जन   
बता दें, गणेश चतुर्थी का उत्सव हिंदू समुदाय समाज में बड़ा ही पवित्र माना जाता है. देश में कुछ राज्य ऐसे हैं जहां यह पवित्र त्योहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. सभी गणेश भक्त 10 दिन के लिए अपने घरों और मोहल्लों में गणपति जी की मूर्ति स्थापित करवाते हैं और 10 दिन तक गणपति जी की विधिवत पूजा-पाठ और भोग प्रसाद लंगर कर 11वे दिन गणपति जी का विसर्जन करते हैं. अलग-अलग मान्यताओं के हिसाब से कोई एक दिन के लिए, कोई 3 दिन के लिए, कोई 5 दिन के लिए तो कोई 10 दिन के लिए गणपति जी को अपने घर में स्थापित करता है और भगवान श्री गणेश को अलविदा कहता है. 


WATCH LIVE TV