राजेश कटारिया/संगरूर: पंजाब में अभी भी कई किसान अपने खेतों में धान की फसल की कटाई के बाद पराली जला रहे हैं, जिससे वातावरण खराब हो रहा है. वहीं फिरोजपुर में पिछले तीन दिनों में पराली जलाने के कई मामले सामने आए हैं, जिसे लेकर प्रशासन हरकत में आया है. वहीं जहां कहीं भी कोई किसान पराली को आग लगा रहा है वहां पर खेती-बाड़ी और फायर ब्रिगेड के मुलाजिम मौके पर पहुंचकर पराली की आग को बुझा रहे हैं. यह जानकारी फिरोजपुर के डिप्टी कमिश्नर राजेश धीमान ने दी. 


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वहीं डिप्टी कमिश्नर राजेश धीमान ने कहा कि हमने किसानों से पहले कई बार अपील की है कि पराली को आग ना लगाएं, लेकिन पीछले दो तीन दिन में कई मामले सामने आए हैं, जिसे लेकर हमारे अधिकारी और फायर ब्रिगेड के मुलाजिम मौके पर पहुंचकर पराली की आग को बुझा रहे हैं 


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बता दें, पंजाब में सबसे ज्यादा धान की पैदावार संगरूर जिले में होती है. ऐसे में यहां पराली की समस्या ज्यादा बनी रहती है. यहां के किसान बड़ी मात्रा में पराली जलाते हैं. हालांकि संगरूर के डिप्टी कमिश्नर जितेंद्र जोरावर ने कहा कि इस बार लगभग 35 प्रतिशत पराली को नहीं जलाया गया है, क्योंकि इस बार जो भी सब्सिडी एपिसोड रोटावेटर के लिए आई थी, वह हमने किसानों को दी और गांव में जाकर जागरूक करने के लिए कैंप भी लगाए. 


उन्होंने बताया कि पिछले साल अक्टूबर में पराली को आग लगाई थी और इस साल अक्टूबर तक जिस पराली को जलाया गया है उसमें 35 प्रतिशत की कमी आई है, क्योंकि धान की फसल की कटाई एकदम की जाती है, जिसमें काफी दिक्कत आती है. संगरूर जिले में लहरागागा अधूरी सुनामी पराली की गांठ बनाकर फैक्ट्रियों में भेजी जाती है. 


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इसका प्लांट पहले ही चल रहा है आने वाले समय में दूरी और सुनाम में भी चल पड़ेगा कई भट्ट मलकों से भी बात की है कि वह परली का उपयोग भत्तों में करें किसानों को भी प्रेरित किया है आने वाले एक दो साल में पराली ना जलाने की समस्या खत्म हो जाएगी पंजाब सरकार और केंद्र सरकार भी इस तरफ ध्यान दे रही है


वहीं किसानों का कहना है कि बड़े किसान तो हैप्पी सीडर रोटावेटर सुपर सीडर ले सकते हैं, क्योंकि यह महंगी मशीन हैं, लेकिन छोटे किसानों को इसमें दिक्कत आती है. वह इन मशीनों को खरीद नहीं पाते हैं. ऐसे में किसानों को मजबूर होकर पराली को आग लगानी पड़ती है. इस बार जरूर पंजाब सरकार इस पर काम कर रही है. किसानों को समिति के जरिए गट्टा बनाने वाली फैक्ट्री के जरिए भत्तों के जरिए पराली को खेतों से ले जाने का काम कर रही है.


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