क्या है National Security Act 1980? अमृतपाल सिंह के 5 साथियों पर लगाया गया है एनएसए एक्ट
अमृतपाल सिंह के मामले में यह भी बताया गया कि इस मामले में ISI एंगल और विदेशी फंडिंग का भी खदशा जताया जा रहा है. ऐसे में पुलिस ने अफवाह फैलाने वालों को कड़ी चेतावनी दी है.
What is National Security Act 1980? 'वारिस पंजाब दे' (Waris Punjab De) के मुखी अमृतपाल सिंह (Amritpal Singh latest news) के चाचा और उसके 4 अन्य साथियों पर एनएसए एक्ट यानी राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम लगाया गया है. एनएसए लगाने वालों में अमृतपाल के चाचा हरजीत सिंह, अभिनेता दलजीत कलसी, भगवंत सिंह बजेके, बसंत सिंह और गुरमीत सिंह शामिल हैं.
इन 5 लोगों को पंजाब पुलिस असम के डिब्रूगढ़ ले गई है। इस दौरान खबरें ऐसी भी आ रही हैं कि गिरफ्तारी के बाद अमृतपाल सिंह पर भी एनएसए एक्ट लगाया जा सकता है. मिली जानकारी के मुताबिक 'वारिस पंजाब दे' (Waris Punjab De) के खिलाफ अब तक 6 मामले दर्ज किए जा चुके हैं. अमृतपाल सिंह अभी भी फरार है. अमृतपाल ऑपरेशन (Amritpal Singh latest news) में अब तक 114 लोगों को राउंड अप किया गया है और 10 हथियार, 4 वाहन बरामद किए गए हैं.
अमृतपाल सिंह के मामले में यह भी बताया गया कि इस मामले में ISI एंगल और विदेशी फंडिंग का भी खदशा जताया जा रहा है. ऐसे में पुलिस ने अफवाह फैलाने वालों को कड़ी चेतावनी दी है.
What is National Security Act 1980? क्या है राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम?
एनएसए एक्ट भारत के सबसे कठिन कानूनों में से एक है जो कि अमृतपाल के 5 साथियों पर लगाया गया है. एनएसए एक्ट के तहत अगर केंद्र सरकार या राज्य सरकार को लगता है कि कोई व्यक्ति देश या राज्य की शांति और सुरक्षा के लिए खतरा है तो उसे एक्ट की इस धारा के तहत 12 महीने तक गिरफ्तार और हिरासत में लिया जा सकता है.
बता दें कि गिरफ्तार किए गए शख्स की कस्टडी के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है. National Security Act 1980 के तहत 12 महीने तक आरोपी को हिरासत में रखा जा सकता है. अगर सरकार आरोपियों के खिलाफ सबूत पेश करती है तो 12 महीने की हिरासत और बढ़ाई जा सकती है.
इस एक्ट के तहत देश में मौजूद किसी भी विदेशी को भी काबू किया जा सकता है. एनएसए के तहत, किसी व्यक्ति को उसके खिलाफ आरोपों की जानकारी दिए बिना 10 दिनों तक हिरासत में रखा जा सकता है. हिरासत के खिलाफ याचिका किसी भी अदालत में दायर नहीं की जा सकती है. इंदिरा गांधी की सरकार के दौरान सितंबर 1980 में अधिनियम पारित किया गया था.
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