Chaitra Navratri 2023: सनानत धर्म में नवरात्रि का खास महत्व होता है. ऐसे में भक्त नौ दिन तक मां के नौ स्वरूपों की विधिवत पूजा करते हैं. वैसे तो साल में चार बार नवरात्र आते हैं, जिनमें से दो नवरात्र गुप्त होते हैं, जिनके बारे में कम ही लोगों को पता होता है और दो जिन्हें हर कोई धूमधाम से मनाता है. एक नवरात्र दीपावली से पहले आते हैं और एक नवरात्र होली के बाद जिन्हें चैत्र नवरात्र कहा जाता है, जिनका महत्व बाकी नवरात्र से भी अधिक होता है. ऐसा इसलिए क्योंकि यह नवरात्र हिंदू नववर्ष की शुरुआत में आते हैं. 


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मान्यता है कि इन नवरात्र में आप मां की विधिवत पूजा कर उनकी कृपा पा सकते हैं. इन नौ दिन मां के अलग-अलग स्वरूपों की विधिवत पूजा करने से जीवन की कई समस्याओं से निजात मिलती है और आपके जीवन में सुख-समृद्धि आती है. कुछ भक्त इन नौ दिनों तक निर्जला उपवास कर मां की भक्ति करते हैं तो कुछ पहला और आखिरी व्रत करके मां की उपासना करते हैं.


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नियमानुसार करें मां दुर्गा के शैलपुत्री स्वरूप की पूजा
बता दें, नवरात्र की शुरुआत मां के शैलपुत्री स्वरूप की पूजा से होती है. यानी नवरात्र के पहले दिन मां दुर्गा के शैलपुत्री स्वरूप की पूजा की जाती है जो हिमालयराज की पुत्री हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मां दुर्गा के शैलपुत्री स्वरूप की पूजा करने से धन, सौभाग्य और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है, लेकिन इस सब के लिए जरूरी है विधिवत और नियम से पूजा करना. पूजा के दौरान सभी नियमों का पालन करना बेहद जरूरी होता है. 


ऐसे करें मां शैलपुत्री की पूजा
बता दें, नवरात्र के पहले दिन पूजा से पहले घटस्थापना की जाती है. शुभ मुहूर्त में पहले घटस्थापना करें. इसके बाद पूर्व दिशा में एक चौकी रखकर उस पर लाल रंग का कपड़ा बिछा लें और उस पर मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित करें. फिर मां शैलपुत्री को हल्दी, नारियल, कुमकुम, चंदन, लौंग, सफेद चंदन, पान, सुपारी और सोलह श्रृंगार अर्पित करें. इस सब के बाद मां को किसी मिठाई से भोग लगाएं. अगर आप रसगुल्ले का भोग लगाते हैं तो और भी अच्छा है क्योंकि शैलपुत्री को सफेद रंग अति प्रिय है. भोग लगातर मां की आरती करें और उनसे जीवन में सुख-समृद्धि की कामना करें.


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं. जी न्यूज इसकी पुष्टि नहीं करता.)  


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