Chhath Parv Kharna: लोक आस्था के चार दिवसीय महापर्व छठ का आगाज मंगलवार को नहाय खाय के साथ हो चुका है. इस पर्व के दूसरे दिन बुधवार को छठ व्रती खरना करेंगी. खरना का इस पर्व में खास महत्व है, क्योंकि खरना करने के बाद व्रती लगभग 36 घंटे के लिए निर्जला व्रत करती हैं. यह व्रत उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के साथ शुक्रवार को समाप्त होगा. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

खरना के दिन खीर बनाई जाती है, जिसमें दूध, गुड़ चावल और मेवा मिलाया जाता है. इसके अलावा फल भी भोग में लगाए जाते हैं. प्रसाद तैयार करने के दौरान, साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है. छठ पूजा की विधि के अनुसार, खरना करने के दौरान व्रती अकेली रहती हैं. इस दौरान उनके पास कोई नहीं होता है. इस दौरान उन्हें कोई टोकता भी नहीं है, इसलिए जब घर के अंदर व्रती खरना कर रही होती हैं तो दूसरे लोग दूर हो जाते हैं और उनके बुलावे का इंतजार करते हैं, जब व्रती खरना का प्रसाद खा लेती हैं तो परिवार के अन्य सदस्यों में इसे बांटती हैं. 


Chhath Puja 2024: यहां जानें चार दिन चलने वाले छठ पर्व के हर दिन के नियम


मान्यता है कि इस दिन जो लोग सच्चे मन से छठ व्रती के पैर छूते हैं और उनके हाथों से प्रसाद खाते हैं, उनकी मनोकामना पूर्ण होती है. इसके बाद व्रती लगभग 36 घंटे का कठोर व्रत धारण करती हैं. छठ के तीसरे दिन व्रती परिवार के सदस्यों के साथ छठ घाट पर पहुंचती हैं और डूबते हुए सूरज को अर्घ्य देती हैं. इस दौरान घाट पर छठ पूजा की कथा का गुणगान भी किया जाता है. सूर्य ढलने के बाद छठ व्रती छठ घाट से घर लौटती हैं और सुबह के अर्घ्य की तैयारी शुरू हो जाती है. 


चौथे दिन सुबह तीन बजे से चार बजे के बीच में छठ व्रती घाट पर पहुंचती हैं और उगते हुए सूरज को अर्घ्य देकर छठ महापर्व का समापन होता है. घाट पर मौजूद लोग इस दौरान व्रतियों से आशीर्वाद भी लेते हैं और प्रसाद ग्रहण करते हैं. इस तरह छठ व्रतियों का 36 घंटे तक चला कठोर निर्जला व्रत भी समाप्त हो जाता है. 


(आईएएनएस)


WATCH LIVE TV