Goverdhan Puja 2024: दिवाली उत्सव शुरू होने में अब कुछ ही दिन बाकी रह गए हैं. साल भर लोगों को इस उत्सव का बेसब्री से इंतजार रहता है. दिवाली उत्सव की शुरुआत कार्तिक माह की त्रयोदशी तिथि से होती है जो भाई दूज तक चलता है. इन 5 दिनों तक लोगों के घर रंग-बिरंगी लाइटों से जगमगाते रहते हैं.   


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धनतेरस से होती है दिवाली उत्सव की शुरुआत
दिवाली उत्सव के पहले दिन धनतेरस, दूसरे दिन छोटी दिवाली, तीसरे दिन दीपावली, चौथे दिन गोवर्धन पूजा और आखिर में यानी पांचवे दिन भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है. इन पांच दिनों तक लोगों के घर रंग-बिरंगी लाइटों और फूलों से सजे हुए दिखाई देते हैं. इन पांचो दिन घर में सकारात्मक ऊर्जा का वास होना चाहिए.   


बता दें, सनातन धर्म में गोवर्धन पूजा का खास महत्व है. धनतेसर से शुरू हुए दिवाली उत्सव के चौथे दिन की जाने वाली गोवर्धन पूजा देश के कई हिस्सों में धूम-धाम की जाती है. वैदिक पंचांग के अनुसार, गोवर्धन पूजा हर साल कार्तिक माह में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को की जाती है. इस साल गोवर्धन पूजा 1 नवंबर को की जाएगी.


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घरों में बनाई जाती है गोवर्धन पर्वत और भगवान श्री कृष्ण की प्रतिमा 
हालांकि कुछ लोग गोवर्धन पूजा 2 नवंबर को भी करेंगे. इस दिन लोग अपने घरों के आंगन या छत पर गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत और भगवान श्री कृष्ण की प्रतिमा बनाते हैं. गोबर से बनाई गई इस प्रतिमा की विधिवत पूजा की जाती है. इस दिन भगवान को कढ़ी और अन्नकूट चावल का भोग लगाया जाता है.


कब की जाएगी गोवर्धन पूजा
प्रतिपद तिथि 01 नवंबर 2024 को शाम 06 बजकर 16 मिनट से लग रही है जो अगले दिन 2 नवंबर को रात 08 बजकर 21 मिनट तक रहेगी. उदयातिथि के आधार पर गोवर्धन पूजा 02 नवंबर 2024 को की जाएगी. 


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गोवर्धन पूजा का मुहूर्त 
2 नवंबर 2024 को गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त प्रात: काल 6 बजे से लेकर 8 बजे तक है। इसके बाद दोपहर में 03:23 मिनट से लेकर 05:35 मिनट के बीच भी पूजा की जा सकती है। 


इस विधि से करें गोवर्धन पूजा
गोवर्धन पूजा के दिन गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत और भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति बनाएं. इसके बाद इसे फूलों से सजाएं. गोबर से बनाए गए भगवान श्री कृष्ण को फल, जल, दीप-धूप और नैवेद्य अर्पित करें. इसके बाद इन्हें कढ़ी और अन्नकूट चावल का भोग लगाएं. पूजा के बाद गोवर्धन पर्वत की सात बार परिक्रमा करें. परिक्रमा के दौरान हाथ में जल लेकर मंत्रों का उच्चारण करें. अंत में गोवर्धन महाराज के जयकारे लगाते हुए पूजा संपन्न करें और सभी को प्रसाद बांटें. 


पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, एक बार भगवान इंद्र ने ब्रजवासियों से नाराज होकर तेज बारिश कर दी. ब्रजवासियों को इंद्र के प्रकोप से बचाने के लिए भगवान श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी एक अंगुली पर उठा लिया था. भगवान कृष्ण ने पर्वत को 7 दिन तक अपनी अंगुली पर रखा था. इस दौरान सभी ब्रजवासियों ने पर्वत के नीचे रहकर ही अपने 7 दिन व्यतीत किए थे. इस दिन भगवान श्री कृष्ण का आभार व्यक्त किया जाता है.  


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