Holi 2023: होली और दिवाली साल के दो सबसे बड़े त्योहार माने जाते हैं. ऐसे में अब नया साल, मकर संक्रांति और लोहड़ी के बाद हर किसी को बस होली (Holi 2023) का इंतजार है. दिवाली पर जहां लोगों के घरों में लक्ष्मी पूजन किया जाता है. वहीं, होली पर होलिका दहन (Holika dahan 2023) का खास महत्व होता है. हर बार की तरह इस बार भी होली का पर्व मार्च (Holi 2023 date) माह में ही है. बता दें, देश के कुछ हिस्सो में होली से एक महीने पहले होली का डांडा रोपने (Holi ka danda) की भी परंपरा है. ऐसे में यहां हम आपको बताएंगे कि इस साल डांडा रोपन और होलिका दहन कब (Holika dahan date) है. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

क्या होता है होलिका डांडा? 
बता दें, होली का डांडा होलिका के भक्त प्रहलाद और उसकी बुआ की निशानी माना जाता है. इस प्रथा के अनुसार होली से पहले मोहल्ले या गांव के किसी चौक चौहारे पर दो डंडे रोपे जाते हैं यानी गाड़े जाते हैं जो कि एक प्रकार का पौधा होता है, जिसे सेम का पौधा कहा जाता है. इनमें से एक को होलिका का स्वरूप माना जाता है जबकि दूसरे को प्रहलाद का स्वरूप माना जाता है. होलिका दहन के समय इन दोनों में से भक्त प्रहलाद के स्वरूप को अग्नि से बचा लिया जाता है और होलिका को पूरा जला दिया जाता है. 


ये भी पढ़ें- हाथ और पैर में काला धागा बांधना पड़ सकता है भारी, जीवन में बढ़ सकती है परेशानी


यह है होली का डांडा रोपने का दिन 
बता दें, होली का डांडा माघ माह की पूर्णिमा तिथि को रोपा जाता है. ऐसे में कुछ लोगों ने 5 फरवरी 2023 रविवार को डांडा रोप दिया जबकि कुछ लोगों ने आज डांडा रोपन किया है. वहीं, अगर होलाष्टक की बात की जाए तो होलाष्टक 27 फरवरी 2023 से लगेंगे और 7 मार्च 2023 को समाप्त होंगे. इसके अलावा 7 मार्च 2023 को होलिका दहन होगा और 8 मार्च 2023 को होली का पर्व मनाया जाएगा. 


ये भी पढ़ें- 4 साल में पटरी पर आ जाएगी हिमाचल प्रदेश की अर्थव्यवस्था, सीएम सुक्खू ने किया दावा


इन्हें गाडने के बाद इसके आस-पास उपले और ढेर सारी लड़िकयां रख दी जाती हैं. इसके बाद चारों ओर रंगोली बनाकर इसकी विधिवत पूजा की जाती है. बता दें, इसके आप-पास रखने वाले उपलों को एक अलग तरह का आकार दिया जाता है जिन्हें भरभोलिए कहा जाता है. कहते हैं कि अगर ये भरभोरिए गाय के गोबर से बने हों तो अच्छा होता है. कुछ लोग इन्हें बनाते वक्त लोग भजन भी गाते हैं. भरभोरिए बनाते समय इनमें बड़े-बड़े छेद किए जाते हैं और फिर इनके सूखने के बाद इनकी माला बनाई जाती है, जिसे होलिका दहने के समय जलाया जाता है. 


WATCH LIVE TV