Vishwakarma Day 2024: दिवाली के बाद कब की जाती है विश्वकर्मा की पूजा और क्यों मनाई जाती है
Diwali Vishwakarma Day 2024: विश्वकर्मा साल में दो बार मनाया जाता है एक बार दीवाली के बाद और एक बार सितंबर के महीने
दीपावली जिसे दिवाली भी कहा जाता है भारत का एक प्रमुख त्योहार है. इसे रोशनी का त्योहार कहा जाता है क्योंकि इस दिन घर-घर में दीपक जलाए जाते हैं. वहीं, इसके अगले दिन विश्वकर्मा पूजा का आयोजन होता है. यह पर्व विशेष रूप से मजदूरों, कारीगरों और मशीनरी से जुड़े लोगों द्वारा मनाया जाता है क्योंकि विश्वकर्मा जी को सृजन और निर्माण के देवता माना गया है.
दीपावली और विश्वकर्मा पूजा का अपना-अपना महत्व और विशेषता है. एक ओर दीपावली हमें अच्छाई की राह पर चलने और जीवन में प्रकाश लाने की प्रेरणा देती है, वहीं विश्वकर्मा पूजा हमारे श्रम, तकनीकी और निर्माण कार्यों के प्रति सम्मान प्रकट करने का अवसर है.
दिवाली के बाद विश्वकर्मा पूजा कब है 2024
दिवाली के बाद विश्वकर्मा पूजा का त्योहार 2 नवंबर 2024 को मनाया जाएगा विश्वकर्मा पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 06:34 से सुबह 08:46 बजे तक रहेगा.
विश्वकर्मा पूजा का महत्व
विश्वकर्मा पूजा दिवाली के अगले दिन मनाई जाती है और इसे खासतौर पर उद्योगों, कारखानों और मशीनरी से जुड़े लोगों द्वारा हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. मान्यता है कि इसी दिन भगवान विश्वकर्मा ने ब्रह्मांड का सृजन किया था और देवताओं के लिए अस्त्र-शस्त्र तथा भवनों का निर्माण किया था. इस दिन लोग अपने औजारों, मशीनों, और कार्यस्थल की पूजा करते हैं और अपने कार्य में उन्नति की कामना करते हैं.
विश्वकर्मा पूजा का आयोजन
विश्वकर्मा पूजा के दिन लोग सुबह उठकर स्नान करते हैं और कार्यस्थल या घर के उस हिस्से को साफ करते हैं जहां पूजा की जाती है. औजारों और मशीनों को साफ करके उन पर चंदन, हल्दी, फूल और अक्षत लगाया जाता है फिर भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमा या तस्वीर के सामने धूप-दीप जलाकर पूजा की जाती है. इस पूजा में न केवल कारीगर बल्कि इंजीनियर, उद्योगपति, और तकनीकी कार्यों में लगे सभी लोग श्रद्धा से हिस्सा लेते हैं.
विश्वकर्मा पूजा के दिन क्या करते हैं
विश्वकर्मा पूजा के दिन शिल्पकार व श्रमिक वर्ग के लोग भगवान विश्वकर्मा का पूजन करते हैं और व्यापार-व्यवसाय में उन्नति की कामना करते हैं. साथ ही अपने घर- व्यवसाय के विकास की कामना से दीपक जलाते हैं.