चंडीगढ़- भाई-बहन चाहे जितनी मर्जी लड़ाई कर लें, लेकिन दोनों में प्यार भी भरपूर होता हैं. भाई-बहन के इसी प्यार के रिश्ते को सेलिब्रेट करने के लिए हिंदू धर्म में रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाता है. 


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इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और उनकी लंबी उम्र की कामना करती है. वहीं, भाई बहन की रक्षा करने वचन देता है. कहने को तो यह भाई-बहन का त्योहार है, लेकिन इसको मनाते समय भी कुछ खास बातों का ध्यान रखना जरूरी है. 


रक्षाबंधन के दिन बहनों को भाईयों की कलाई पर राखी बांधते वक्त भद्राकाल का विशेष ध्यान रखना चाहिए। रक्षाबंधन के दिन भद्राकाल होने पर राखी नहीं बांधी जाती है. भद्राकाल को अशुभ समय माना गया है.


11 अगस्त के दिन शाम के 5 बजकर 17 मिनट पर भद्रा पुंछ शुरू हो जाएगा जो शाम के 6 बजकर 18 मिनट पर समाप्त होगा. फिर 6 बजकर 18 मिनट से भद्रा मुख शुरू हो जाएगा जो रात्रि के 8 बजे तक रहेगा. भद्राकाल के खत्म होने पर राखी बांधी जा सकती है. अगर आपको भद्रा काल में राखी बांधनी बहुत जरूरी हो तो इस दिन प्रदोषकाल में शुभ,लाभ,अमृत में से कोई एक चौघड़िया देखकर राखी बांधी जा सकती है.


जानिए कब शुरू होगी पूर्णिमा
रक्षाबंधन का त्यौहार सावन माह की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है. इस बार पुर्णिमा तिथि की शुरुआत 11 अगस्त को सुबह 10 बजकर 38 मिनट से शुरू हो रही है. पुर्णिमा की तिथि अगले दिन 12 अगस्त को सुबह 07 बजकर 05 मिनट तक रहेगा. इस बीच में रक्षाबंधंन का त्यौहार मनाया जाएगा.


बांधें तीन गांठ
रक्षाबंधन के दिन जब बहनें अपने भाईयों की कलाई पर राखी बांधती हैं तो उस समय गांठ बांधते समय इन बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है. राखी बांधते समय कलाई पर गांठ बांधते का धार्मिक महत्व है. कलाई पर बांधीं जाने वाली तीन गांठों का संबंध भगवानों से होता है. यानी कि ब्रह्मा, विष्णु और महेश. हर गांठ इन भगवानों के नाम पर समर्पित होती है. वहीं, तीन गांठों को शुभ भी माना जाता है.