Adbhut Himachal Ki Sair: हिमाचल प्रदेश में नूरपुर विधानसभा के गांव भडवार में अद्भुत, अलौकिक व चमत्कारी प्राचीन प्रसिद्ध माता नागनी का मंदिर सदियों से आस्था का प्रतीक बना हुआ है. यहां कुष्ठ रोगी व स्नैक वाइट के मरीज माता नागनी के प्रसाद रूपी शक्कर (मिट्टी), जल का लेप लगाने और उसे ग्रहण करने से ठीक हो जाते हैं. 


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कितना पुराना है नूरपुर का नागनी मंदिर
कहा जाता है कि सदियों पहले यहां एक कुष्ठ रोगी आया था जो माता रानी के आशीर्वाद से ठीक हो गया था, इसलिए 1869 में इस इलाके का नाम राजस्व विभाग में टीका कौड़ी नागनी के नाम से दर्ज हो गया. यह इस मंदिर के प्रमाण का सबूत बताता है. बाकी उससे पहले कितना पुराना है यह एक रहस्य है. 


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कभी भी नहीं सूखता मां के चरणों में बहने वाला जल
बता दें, यहां हर साल जुलाई और अगस्त महीने में मेला लगता है, जिसमें लाखों की संख्या में हिमाचल के साथ-साथ बाहरी राज्यों से भी श्रद्धालु दर्शनों के लिए आते हैं. यहां जिला स्तरीय मेले का आयोजन भी होता है. इसके साथ यहां साल भर श्रद्धालुओं और स्नैक वाइट के मरीजों का आना-जाना लगा रहता है. सदियों से माता नागनी के चरणों से बहने वाली जलधारा का जल कभी भी नहीं सूखता है. चाहे इलाके में पानी ही क्यों ना सूख जाए, लेकिन  इस मंदिर का पानी कभी नहीं सूखता है. मंदिर की देखभाल सदियों से स्थानीय पठानिया वंश करता आ रहा है. 


मंदिर पुजारी प्रीतम सिंह ने दी जानकारी
मंदिर पुजारी प्रीतम सिंह ने बताया कि यह मंदिर सदियों पुराना है. इस मंदिर का इतिहास सन् 1869 के राजस्व विभाग रिकॉर्ड में टीका कौड़ी नागनी के नाम से दर्ज है. यहां सबसे पहले एक कुष्ठ रोगी मरीज आया था जो मां के आशीर्वाद से ठीक हो गया. इसके साथ ही स्नैक वाइट से प्रभावित मरीज भी यहां आने लगे. 


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मंदिर पुजारी ने बताया कि कुष्ठ रोग, स्नैक वाइट के मरीज यहां की प्रसाद रूपी शक्कर (मिट्टी) व जल का लेप लगाने और उसका सेवन करने से ठीक हो जाते हैं. इस मंदिर की एक और विशेषता यह भी है कि यहां कोई भी किसी भी प्रकार की मन्नत मांगता है तो उसकी वह मन्नत भी पूरी हो जाती है. पुजारी ने बताया कि इस मंदिर की देखभाल के लिए एक कमेटी बनी हुई है. सदियों से स्थानीय पठानिया वंश ही इसकी व्यवस्थाओं को सुचारु ढंग से करवाने का काम कर रहा है. 


(भूषण शर्मा/नूरपुर)


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