संदीप सिंह/धर्मशाला: हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिला में एक ऐसा शहर जिसने 117 साल पहले हुई बड़ी तबाही के बाद अपने आप को फिर से इस कदर नवनिर्माण किया कि आज प्रदेश और देश के लिए एक बेहद महत्वपूर्ण शहर बन गया है. हम बात कर रहे है धौलाधार पर्वत श्रृंखला में बसे धर्मशाला शहर की. जो अब हिमाचल प्रदेश की शीतकालीन राजधानी भी है. यहां तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा का निवास स्थान है. यह प्रदेश का एजुकेशन हब भी है. आर्मी कैंटोनमेंट, इंटरनेशल क्रिकेट स्टेडीयम और रोप वे इस शहर के विकास के मुख्य पिल्लर हैं. जो इस शहर के विकास में गति प्रधान हैं.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

ये भी पढ़ें- Petrol Diesel CNG Price: कितनी बदली पेट्रोल डीजल सीएनजी की कीमत, जानें आज का रेट


यहां की खूबसूरत वादियां देती हैं सुकून
धौलाधार की दिलकश ऊंची-ऊंची चोटियां जो अमूमन बर्फ से ढकी रहती हैं. चारों ओर हरे भरे खेत, हरियाली और कुदरती सुंदरता हर किसी का मन मोह लेती हैं. जहां तक नजर जाए हर ओर हिमालय पर्वत श्रृंखला की ऊंची-नीची चोटियां और उनके ऊपर जमकर पिघल चुकी बर्फ के निशान, चट्टानों पर खड़े चीड़ और देवदार के हरे-भरे पेड़ों से भरा नजारा दिखाई देता है जो सभी को अपनी ओर आकर्षित कर लेता है. धर्मशाला हिमाचल प्रदेश का एक बेहद खूबसूरत हिल स्टेशन है. यहां सुबह शाम ठंडी हवा के झोंके तन-बदन को सुकून देते हैं.


ये भी पढ़ें- हिमाचल प्रदेश में गहराया पेट्रोल-डीजल का संकट, क्या है इसका कारण?


1848 में अंग्रेजों ने कर लिया था कब्जा
धर्मशाला में तिब्बत के धार्मिक गुरु दलाई लामा रहते हैं. निर्वासित तिब्बती सरकार भी यहीं से चलती है. यहीं पर दुनिया का सबसे ऊंचा खूबसूरत इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम भी है. हिमायल की दिलकश बर्फ से ढ़की चोटियां, चारों ओर हरे भरे खेत, हरियाली और कुदरती सुंदरता, देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों का मन-मोह लेती हैं. प्रदेश के सबसे बड़े जिला कांगड़ा का मुख्यालय धर्मशाला जो विश्व विख्यात स्थल है. इस शहर से कई राज हुए जुड़े हैं. गर्मियों के दौरान अंग्रेज हो या राजा-महाराजा सभी यहां के ठंडे-ठंडे वातावरण में ठहरना पसंद करते थे, लेकिन साल 1848 में अंग्रेजों ने इस क्षेत्र पर कब्जा कर लिया था. 1849 में कांगड़ा जिले के अंदर एक फौजी छावनी के लिए धौलाधार पर्वत की ढलानों पर एक स्थान को चुना गया.


ये भी पढ़ें- UPPSC PCS Answer key: जारी की गई UPPSC PCS की आंसर की, आपत्ति के लिए यह तारीख है आखिरी


यह है यहां की खास बात
मेकलोडगंज में तिब्बत के धार्मिक गुरु दलाई लामा रहते हैं. 17वीं तिब्बती संसद और निर्वासित तिब्बती सरकार भी यहीं से चलती है. तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा के यहां आने के बाद धर्मशाला को अंतर्रष्ट्रिय स्तर पर और ज्यादा पहचान मिली थी, जिसके बाद यहां विदेशी सैलानियों की संख्या भी बढ़ने लगी. यहां बने संग्राहलय में बड़ी संख्या में छात्र और विदेशी पर्यटक आते हैं. यहां की खास बात यह भी है कि यहां का मौसम कभी भी बदल जाता है और बारिश होना यहां के लिए आम बात है. 


ये भी पढ़ें- मनाली की ये तस्वीरें देख आपका भी करेगा घूमने का मन, यहां देखें खूबसूरत नजारा


स्मार्ट सिटी का मिल चुका है दर्जा
साल 1908 से 13 तक पंजाब के लेफ्टिनेंट गवर्नर के रूप में कार्य करने वाले ब्रिटिश अधिकारी सर लुइस डब्ल्यू डेन ने इस क्षेत्र में इस संस्था की स्थापना की. नतीजतन, धर्मशाला शिक्षा बोर्ड ट्रस्ट का गठन किया गया और 4 मई, 1912 को कॉलेज की आधारशिला रखी गई. औपनिवेशिक शैली की वास्तुकला में एक मंजिला इमारत के बाद के वर्षों में बनाई गई थी और कॉलेज 1926 में एक इंटरमीडिएट कॉलेज के रूप में पूरी तरह कार्यात्मक हो गया था. इसे 1947 में स्नातक स्तर तक अपग्रेड किया गया था. कॉलेज का हेरिटेज भवन, जिसमें प्राचार्य का कार्यालय है वह अभी भी बरकरार है. इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडीयम, रोपे और आर्मी कैंटोनमेंट का धर्मशाला के विकास में बड़ा योगदान है. देश के 100 शहरों को स्मार्ट सिटी की तर्ज पर विकसित करने के लिए चुना गया, जिसमें से एक धर्मशाला शहर भी है. स्मार्ट सिटी का दर्जा हासिल करने के साथ-साथ यह वीर भूमि भी है. शहीद स्मारक स्थल और प्रदेश का पहला युद्ध संग्राहलय यहां के मुख्य आकर्षण का केंद्र हैं.


WATCH LIVE TV