बिशेश्वर नेगी: हिमाचल प्रदेश के जनजातीय किन्नौर के तिब्बत सीमा से सटे शलखर व चांगो गांव में बीती शाम भारी बारिश के कारण बाढ़ की स्थिति बनी. मरु भूमि होने के कारण नदी नाले मटमैला पानी के साथ उफान पर आ गए, जिसकी वजह से चांगो गांवों के साथ खांगो गोम्पा फुट ब्रिज भी बह गया. कई स्थानों पर चट्टानों से मलवा बस्ती की ओर आने से लोगों के बाग-बागीचे मलवे में तब्दील हो गए है. 


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इन जगहों पर वाहनों की आवाजाही ठप्प
कई घरों मलवा घुसने से घर के सामान और घरों को काफी नुकसान हुआ है. बाढ़ की वजह से कुछ वाहन दलदल की चपेट में आने से क्षति ग्रस्त हो गए हैं. इतना ही नहीं बाढ़ की वजह से शिमला काजा मुख्य वाहन मार्ग चांगो और शलखर के मध्य चार स्थानों पर वाहनों की आवाजाही बंद ठप्प हो गई है. लोगों के खेतों और घरों तक मलवा पहुंचने से लोग अपने घरों से सामान बाहर निकाल कर सुरक्षित स्थानों पर जाने का प्रयास कर रहे हैं. 


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बाढ़ से खाने-पीने के सामान को हुआ नुकसान


बाढ़ से गांव शालखार में भारी तबाही हुई. गांव के बस स्टैंड में बाढ़ आने से कुछ गाडियां भी दब गई हैं. स्थानीय लोगो के मिट्टी से बने घरों की छतों से पानी लीक होकर घरों में अंदर भर गया है. इससे लोगों का खाने-पानी का सामान और बिस्तर भी खराब हो चुका है. ऐसे में इस बाढ़ से बगीचों का कितना नुकसान हुआ अभी इसका भी आंकलन किया जा रहा है.


ढलानदार इलाका होने की वजह से आई आफत
बता दें, तिब्बत सीमा से सटे इन क्षेत्रों में बारिश नहीं होती है. ढलानदार होने की वजह से इस क्षेत्र में हल्की बारिश आने से भी आफत हो जाती है. बीती शाम तेज बारिश होने से ढलानदार मरु भूमि में बाढ़ की स्थिति बन गई. नदी नालों में बाढ़ की स्थिति बनी और नीचे आकर लोगों की फसलों और घरों को भी भारी नुकसान पहुंचा. 


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पर्यावरण से हो रही छेड़खानी के कारण पैदा हुए ऐसे हालात 
वहीं, जिला परिषद सदस्य शांता कुमार ने बताया कि बीती शाम भारी बारिश के कारण दो-तीन स्थानों पर बादल फटे हैं, जिससे लोगों के घरों और बाग-बगीचों को काफी नुकसान पहुंचा है. उन्होंने कहा कि सरकार से तुरंत लोगों को सहायता पहुंचाने की मांग की गई है. यह सारी घटना बदलते पर्यावरण की वजह से ही रही है. आज अंधाधुंध पर्यावरण के साथ छेड़खानी हो रही है.


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