समीक्षा कुमारी/शिमला: हार्ट अटैक से मौत होने के मामले में भारत पहले नंबर पर है. आज देश में ज्यादा मौत हार्ट अटैक के कारण ही हो रही हैं. काफी समय से सोशल मीडिया पर भी ऐसे कई वीडियो वायरल हुए जिनमें लोग कुछ न कुछ एक्टिविटी करते वक्त अचानक जमीन पर गिर गए और उनकी मौत हो गई. हैरानी की बात तो यह थी कि इन सभी में मौत का कारण हार्ट अटैक ही थी. 


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आईजीएमसी में मेडिसिन विभाग में प्रोफेसर डॉ. जितेंद्र मोकटा ने जानकारी देते हुए बताया कि स्कूली बच्चों में साइलेंट अटैक के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. इसका एक मात्र कारण हाइपरटेंशन और बदलता लाइफस्टाइल है. एक सर्वे के अनुसार हर साल 5 से 10 स्कूली बच्चे अचानक हार्ट अटैक का शिकार हो रहे हैं. 


उन्होंने कहा कि पहले ब्लड प्रेशर हाइपरटेंशन 50 साल से अधिक उम्र वाले लोगों में होता था, लेकिन अब यह छोटे बच्चों में भी होने लगा है जो कि चिंता का विषय है. उन्होंने कहा कि इसका मुख्य कारण बदलती लाइफ स्टाइल है. उनका कहना था कि पहले हम लोग काम करने में आलस्य महसूस नहीं करते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं रहा है. ऐसे में हमारी जीवन शैली काफी प्रभावित हो रही है. वहीं, हाइपरटेंशन और युवाओं में बढ़ रही नशे की लत भी अचानक आने वाले हार्ट अटैक का मुख्य कारण है. 


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7 बजे तक हर हाल में कर लेना चाहिए डिनर
आज के समय में ज्यादातर देखा जाता है कि लोग सुबह बिना कुछ खाए पूरा दिन निकाल देते हैं. सुबह के बाद वह सीधा दोपहर को ही खाना खाते हैं जो कि पूरी तरह गलत है. खान-पान को लेकर डॉ. मोकटा का कहना है कि हमें अपना ब्रैकफास्ट, लंच और डिनर अच्छे से करना चाहिए. आजकल के बिजी लाइफस्टाइल में ज्यादातर देखा जाता है कि शहरी इलाकों में लोग रात 11 बजे तक डिनर करते हैं जबकि ऐसा बिल्कुल नहीं होना चाहिए. सभी को शाम 7 बजे तक डिनर कर लेना चाहिए. उन्होंने कहा कि हमें अपना खान-पान संतुलित करने की जरूरत है.


रात को हल्का खाना सेहत के लिए होता है अच्छा
उन्होंने बताया कि विदेशों में भी 7 बजे के बाद किसी भी रेस्टोरेंट में खाना नहीं मिलता है. इसका मुख्य कारण है कि रात का खाना हल्का होना चाहिए और जल्दी कर लेना चाहिए, जिससे हम बीमारियों से बचे रह सकें. बता दें, हिमाचल प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल में हर महीने 20 ऐसे लोग इलाज करवाने आते हैं, जिन्हें हार्ट अटैक के मरीज हैं. इसी तरह इस अस्पताल में हर दिन 7 मरीज हार्ट से संबंधित बीमारियों का इलाज करवाने के लिए आते हैं.


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मरीज को गोल्डन पीरियड में पहुंचा देना चाहिए अस्पताल
सर्वे में सामने आया है कि हार्ट अटैक आने पर 35 प्रतिशत लोग तो समय रहते अस्पताल पहुंच जाते हैं, लेकिन 65 प्रतिशत लोग लेट हो जाते हैं. डॉक्टर की मानें तो मरीज को गोल्डन पीरियड यानि दो घंटें के भीतर अस्पताल पहुंचाने की कोशिश करनी चाहिए.


डॉक्टर्स का कहना हैं कि आज के दौर की भागदौड में मानसिक तनाव बहुत ज्यादा हो चुका है. कोविड महामारी के बाद से यह स्थिति और भी बिगड़ गई है. ऐसे में लगातार व्यायाम के बावजूद अतिरिक्त तनाव रक्तचाप को प्रभावित कर सकता है, जो हृदय पर दबाव बनाता है.


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