नौकरी न मिलने पर शुरू की थी खेती, जानें पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित हिमाचल के इस किसान की कहानी
Republic Day 2023: आज 74वें गणतंत्र दिवस के मौके पर हिमाचल प्रदेश के किसान नेकराम शर्मा को पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित किया गया. इस मौके पर उन्होंने खुशी जाहिर करते हुए किसानों से जैविक खेती अपनाने की बात कही.
कोमल लता/मंडी: आज गणतंत्र दिवस के मौके पर हिमाचल प्रदेश के मंडी जिला के करसोग निवासी नेकराम शर्मा को पद्म पुरस्कार से नवाजा गया. नेक राम शर्मा फिलहाल जैविक खेती से जुड़े हुए हैं. वह नौ अनाज की पारंपरिक फसल प्रणाली को पुनर्जीवित कर रहे हैं. इस दौरान उन्होंने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि 'मैं किसान के परिवार से संबंध रखता हूं.
ऐसे हुई खेती की शुरुआत
उन्होंने बताया कि दसवीं पास करने के बाद 1984 तक उन्होंने नौकरी तलाशने का प्रयास किया, लेकिन उन्हें काफी समय तक सफलता नहीं मिली. तब उन्होंने खेतीबाड़ी शुरू की. इस तरह खेती से उनके जीवन की नई शुरूआत हुई. इसके बाद उन्होंने कृषि की पारंपरिक खेती के बारे में जानकारी हासिल की और नौ अनाज प्रणाली के बारे में जाना.
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किसानों को खेती के लिए किया प्रेरित
पद्म पुरस्कार के लिए चयन को लेकर नेक राम ने कहा कि इस सम्मान के साथ उन्हें बहुत बड़ी जिम्मेदारी मिली है. वह अभी तक स्वतंत्र रूप से जीवन जी रहा थे, लेकिन अब उन पर बड़ी जिम्मेदारी आ गई है. खेती छोड़ने वाले लोगों को सलाह देते हुए उन्होंने कहा कि आखिर में खेती ही एक ऐसा व्यवसाय है जो कभी खत्म नहीं होगा. अगर मिट्टी को मां समझकर उसमें जहर न डालकर काम करेंगे तो स्वास्थ्य अच्छा रहेगा. उन्होंने बाकी किसानों को भी इस प्रणाली को अपनाने के लिए प्रेरित किया.
नेकराम ने बताई पोषण से भरपूर गेहूं की पहचान
पिछले 28 वर्षों से 10वीं कक्षा तक पढ़े नेकराम ने न केवल पारंपरिक अनाज के बीज को संरक्षित कर इसका दायरा बढ़ाया है, बल्कि एक हजार किसानों का जोड़कर लुप्त हो रहे मोटे अनाज को लेकर जागरूकता की अलख भी जगाई है. एक-एक किसान परिवार को जोड़ते हुए जौ अनाज की पारंपरिक फसल प्रणाली को बढ़ाया है. नेकराम इन किसानों के माध्यम से पारंपरिक बीज देते और जागरूक करते हैं. इनका मानना है कि मोटा अनाज पोषण से भरपूर होता है. इनका सरंक्षण भी होना चाहिए और खेती भी होनी चाहिए.
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नेकराम ने बनाया बीजों का बैंक
नेक राम ने कहा कि यहां के किसान पारंपरिक तरीके से कई तरह की फसलों की खेती करते थे. इनमें मोटे अनाज रागी, झंगोरा, कौणी, चीणा, धान, गेहूं, जौ, दालें गहत, भट्ट, मसूर, लोबिया, राजमा, माश आदि, तिलहन, कम उपयोग वाली फसलें चैलाई, कुट्टू, ओगला, बथुआ, कद्दू, भंगीरा, जखिया आदि शामिल थे, लेकिन समय के साथ पारंपरिक बीज भी खत्म होता गया और इन्हें उगाने का तरीका भी बदल गया. नेकराम ने बताया कि उनकी पत्नी, बहू और बेटा भी उनकी खेती में काफी मदद करते हैं. अच्छी बात यह है कि उन्होंने 40 तरह के अनाज का एक अनूठा बीज बैंक भी बनाया है. इस बीज बैंक में ऐसे कई अनाज हैं, जो विलुप्त होने की कगार पर हैं.
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