Jaya Bachchan News: राज्यसभा में शुक्रवार को जया बच्चन (Jaya Bachchan) और सभापति जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) के बीच तीखी नोकझोंक हुई. मॉनसून सत्र के दौरान एक बार फिर संसद की कार्रवाही शुरू हुई और इस दौरान दोनों ने एक दूसरे को कटाक्ष किया.  


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एक तरफ जगदीप धनखड़ ने जया बच्चन के प्रति नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि राज्यसभा की एक वरिष्ठ सदस्य होने के नाते क्या आपके पास चेयर का निरादर करने का लाइसेंस है. तो वहीं, इससे पहले जया बच्चन ने सभापति जगदीप धनखड़ की टोन यानी बोलने के तरीके पर अपना विरोध जताया था. इस पर नाराजगी व्यक्त करते हुए सभापति ने कहा कि मेरी टोन, मेरी भाषा मेरे टेंपर पर बात की जा रही है, पर मैं किसी और की स्क्रिप्ट के आधार पर नहीं चलता, मेरे पास अपनी खुद की स्क्रिप्ट है.


बता दें, संसद के मॉनसून सत्र में बोलने न दिए जाने से नाराज विपक्ष ने सदन का बहिष्कार किया और राज्यसभा से उठकर बाहर चले गए. सदन में विपक्ष के कई सदस्य नेता प्रतिपक्ष को बोलने का अवसर दिए जाने की मांग कर रहे थे. इस बीच कुछ अन्य विषयों पर भी विपक्षी सांसद अपनी बात कहने की कोशिश करते रहे. 


इसी दौरान समाजवादी पार्टी (सपा) सांसद जया बच्चन के नाम को लेकर राज्यसभा में जमकर हंगामा हुआ है. जया बच्चन ने अपने नाम में अमिताभ जोड़ने को लेकर आपत्ति जताई है. जया बच्चन ने सभापति से कहा, "सर मैं जया अमिताभ बच्चन यह बोलना चाहती हूं कि मैं कलाकार हूं, बॉडी लैंग्वेज समझती हूं, एक्सप्रेशन समझती हूं, सर मुझे माफ करिएगा लेकिन आपका टोन जो है..." उन्होंने कहा कि हम सभी सहकर्मी हैं, आप आसन पर आसीन हो सकते हैं. 


ऐसे में जया बच्चन की इस बात से नाराज सभापति ने कहा कि जया जी आपने बहुत प्रतिष्ठा अर्जित की हैं. आप जानती हैं कि एक अभिनेता निर्देशक के अधीन होता है. मैंने यहां जो देखा वह आपने नहीं देखा. आप कोई भी हो सकती हैं, आप कोई सेलिब्रिटी हो सकती हैं, लेकिन आपको डेकोरम समझना होगा. 


सभापति ने कड़े शब्दों में कहा कि मैं यह सब बर्दाश्त नहीं करूंगा. इसके बाद पक्ष और विपक्ष दोनों तरफ से जमकर हंगामा होने लगा. सभापति ने कहा कि मुझे मालूम है कि पूरे देश में आप अस्थिरता चाहते हैं. आप सदन में हंगामा चाहते हैं. उन्होंने नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से कहा कि यह लोकतंत्र, संविधान के प्रति अनादर है. राष्ट्र प्राथमिकता है, राष्ट्र सबसे पहले आता है. 


सभापति ने कहा कि कितना दुख का दिन है. 9 अगस्त 1942 को महात्मा गांधी ने भारत छोड़ो का नारा दिया था और इस सदन ने शहीदों को श्रद्धांजलि दी, लेकिन ये लोग आज सदन का बहिष्कार कर रहे हैं. भारत एक शांत, स्थिर, लोकतांत्रिक और प्रगति पूर्ण राष्ट्र है. भारत के पास एक ऐसे प्रधानमंत्री का नेतृत्व है जिन्हें वैश्विक मान्यता हासिल है.  उन्होंने कहा कि इनमें से कुछ की आदत हो गई है कि एक सेगमेंट राष्ट्र के खिलाफ बोलेगा. एक सेगमेंट सदन में हमारी संस्थाओं को बदनाम करने का नॉरेटिव बनाएगा.



वहीं, मीडिया से बात करते हुए जया बच्चन ने कहा, "मैंने सभापति के टोन पर आपत्ति जताई हम स्कूल के बच्चे नहीं हैं. हम सब वरिष्ठ हैं, खासकर जब नेता विपक्ष (मल्लिकार्जुन खरगे) बोलने के लिए खड़े हुए. उन्होंने माइक बंद कर दी. आप ऐसा कैसे कर सकते हैं? ये परंपरा के खिलाफ है. अगर आप उन्हें बोलने नहीं देंगे तो हम क्या करने आए हैं? वो हमेशा असंसदीय शब्दों का इस्तेमाल करते हैं. उन्होंने कहा कि आप सेलिब्रेटी होंगी मुझे फर्क नहीं पड़ता... ये महिलाओं का अपमान है. मुझे माफी चाहिए.