हिमाचल प्रदेश में बन सकते हैं जोशीमठ जैसे हालात, सामने आई दरार पड़ने की वजह
इंटरनेशनल टूरिस्ट डेस्टीनेशन में पहचान बना चुका मैक्लोडगंज में भी उत्तराखंड के जोशीमठ जैसे हालात पैदा हो सकते हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि बहुमंजिला इमारतों से भूमि पर बोझ बढ़ता है.
विपन कुमार/धर्मशाला: इंटरनेशनल टूरिस्ट डेस्टीनेशन में पहचान बना चुका मैक्लोडगंज में भी उत्तराखंड के जोशीमठ जैसे हालात पैदा हो सकते हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि बहुमंजिला इमारतों से भूमि पर बोझ बढ़ता है. पहाड़ों पर पानी निकासी की उचित व्यवस्था न होना और सीवेज प्रावधान न होना भी इस तरह की आपदा का सबब बन सकता है.
उत्तराखंड के जोशीमठ की घटना से हर कोई वाकिफ है. ऐसे में पहाड़ों पर इस तरह की आपदा से बचने के लिए उचित कदम उठाने की जरूरत है. विशेषज्ञों का कहना है कि पहाड़ों की भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए ही घरों के निर्माण किए जाने चाहिए, क्योंकि बहुमंजिला निर्माण से भूमि पर लोड पड़ता है, जिसकी वजह से जमीन खिसकने की संभावना बढ़ जाती है. जोशीमठ में बने ऐसे हालातों के बीच हिमाचल के पहाड़ों पर बन रहे बहुमंजिला भवनों का निर्माण भी एक बड़ा मसला है.
जोशीमठ में दरार पड़ने की क्या है वजह?
ऐसे में हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय के ज्योलॉजी विभाग के प्रमुख प्रोफेसर अंबरीश कुमार महाजन का कहना है कि जोशीमठ एक ऐसी जगह है जहां ऑब्स्ट्रक्शन ड्रेनेज की वजह से ऐसे हालात बने हैं. उन्होंने कहा कि यह अचानक नहीं हुआ बल्कि ये दरारें पहले से ही बन रही थीं जो अब वर्तमान में डिजास्टर के रूप में उभर आई हैं.
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कैसे बनती है मकान खिसकने की संभावना?
धर्मशाला के बारे में प्रोफेसर महाजन का कहना है कि धर्मशाला में कोतवाली बाजार से ऊपर मैक्लोडगंज, भागसूनाग ऐसी जगह है जो लैंड स्लाइड जोन है. यह जगह लैंडस्लाइड जोन ड्रेनेज सिस्टम प्रॉपर न होने की वजह से बनी है. अगर ड्रेनेज सिस्टम प्रॉपर होता और प्रॉपर सीवेज सिस्टम को टैग किया होता तो यहां इस तरह की समस्या नहीं आती. उन्होंने कहा कि जब बहुमंजिला निर्माण होता है तब इससे जमीन पर ज्यादा लोड हो जाता है, जिससे उसके खिसकने की संभावना बढ़ जाती है.
शिमला में भी बढ़ सकता है खतरा
शिमला के बारे में प्रोफेसर अंबरीश महाजन ने कहा कि शिमला में भी बहुमंजिला इमारतें हैं, जो लैंड स्लाइड जोन में हैं. ऐसे में ये सभी आने वाले समय के लिए खतरनाक साबित हो सकती हैं. इनमें प्रॉपर ड्रेनेज सिस्टम नहीं होगा तो उनका भी आने वाले समय में जोशीमठ वाला ही हाल होगा.
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खतरे की श्रेणी में धर्मशाला
उन्होंने कहा कि धर्मशाला एरिया भूकंप की दृष्टि से संवेदनशील है और टेक्टोलिकली भी एक्टिव है. धर्मशाला के इर्द-गिर्द 3 थ्रस्ट हैं, जिनमें धर्मशाला के साउथ से लेकर दक्षिणी थ्रस्ट, धर्मशाला के नॉर्थ में नडडी के पास क्रॉस करता हुआ एमबीटी थ्रस्ट, पंजाब थ्रस्ट, इतने ज्यादा थ्रस्ट होने के चलते धर्मशाला की जमीन अंडर कंप्रेसिव स्ट्रेस पर है. ड्रेनेज सिस्टम की बात करें तो मैक्लोडगंज से ऊपर ड्रेनेज या सीवेज सिस्टम का कोई समाधान नहीं है, जब तक यह समाधान नहीं होता, तब तक यह समस्या चलती ही रहेगी.
महाजन के अनुसार, कोतवाली बाजार से ऊपर जाएं तो जगह-जगह रोड़ सिंक कर रहा है. इसका मुख्य कारण है कि यहां पर नीचे क्ले स्टोन है और उसके ऊपर लूज सॉयल है, लूज सॉयल में जैसे ही पानी भरता है वैसे ही माइस्चर कंटेंट बढ़ जाता है और लैंड स्लाइड होता है. पहाड़ पर पानी की निकासी होना जरूरी है और सीवेज की प्रॉपर व्यवस्था होनी चाहिए. पहाड़ पर पानी की निकासी न होना बड़े हादसे का सबब बन सकता है.
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