Loktantra Prahari Yojna: हिमाचल प्रदेश में बंद की गई `लोकतंत्र प्रहरी योजना`, ये है बड़ी वजह
Himachal Pradesh News: आपातकाल के दौरान जेलों में बंद रहे लोगों के लिए शुरू की गई `लोकतंत्र प्रहरी योजना` को अब हिमाचल प्रदेश में बंद कर दिया है. प्रदेश की सुक्खू सरकार ने विधानसभा सदन में विधेयक लाकर कानून को निरस्त कर दिया है, जिसे बंद करने पर विपक्ष ने सदन में विरोध भी किया.
समीक्षा कुमारी/शिमला: हिमाचल प्रदेश में पूर्व की भाजपा सरकार (BJP) द्वारा आपातकाल (The Emergency) के दौरान जेलों में बंद रहे लोगों के लिए 'लोकतंत्र प्रहरी योजना' (Loktantra Prahari Yojna) शुरू की गई थी, जिसे अब प्रदेश की सुक्खू (Himachal Pradesh Government) सरकार ने बंद कर दिया है. इसे लेकर सरकार ने विधानसभा सदन में विधेयक लाकर कानून को निरस्त कर दिया है. योजना के तहत (Loktantra Prahari scheme) आपातकाल में जेलों में बंद रहे लोगों को पूर्व सरकार ने 20,000 और 12,000 मासिक पेंशन देने का निर्णय लिया था, जिसे वर्तमान सरकार ने बंद कर दिया है.
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कांग्रेस ने घोट दिया था लोकतंत्र का गला
योजना को बंद करने के लिए लाए गए विधेयक का सदन में विपक्ष ने विरोध किया. हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि आपातकाल के समय में देश की कांग्रेस सरकार ने लोकतंत्र का गला घोंट दिया था, जिन लोगों ने इस निर्णय के खिलाफ आवाज उठाई थी उनको जेल में डाल दिया गया.
उन्होंने कहा कि जिस प्रैस को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा जाता है उससे भी लिखने की आजादी छीन ली गई. भाजपा सरकार ने ऐसे लोगों को पेंशन देने का निर्णय लिया था, जिसे कांग्रेस ने बंद कर दिया था. उन्होंने बताया कि सदन में कहा विपक्ष इस अलोकतांत्रिक फैसले का विरोध करती है. सत्ता में आने पर ज्यादा पैसे के साथ इस पेंशन को फिर से शुरू किया जाएगा.
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कुछ लोगों को फायदा देने के मकसद से शुरू की गई 'लोकतंत्र प्रहरी योजना'
वहीं संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि जयराम सरकार से पहले भी हिमाचल प्रदेश में बीजेपी की सरकारें रही हैं. उसमें इस योजना को किसी भी सरकार ने शुरू नहीं किया. जब चुनावों से पहले जयराम ठाकुर को हार सामने दिखाई दी तो कुछ लोगों को फायदा देने के मकसद से इस योजना को शुरू किया गया, जिसका हिमाचल प्रदेश पर आर्थिक बोझ पड़ा है. आजादी की लड़ाई में किसी भी भाजपा या आरएसएस नेता की कोई भूमिका नहीं रही है इसलिए आपातकाल में जेलों में रहे लोगों की तुलना करना सरासर गलत है.
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