Shaheed Udham Singh speech in Old Bailey Court in Hindi: 31 जुलाई, 1940, भारत के लिए इतिहास का वो पन्ना जब शहीद उधम सिंह को लंदन की पेंटनविले जेल में फांसी दी गई थी. 4 जून 1940 को उन्हें पंजाब के पूर्व लेफ्टिनेंट-गवर्नर माइकल ओ'डायर की हत्या के आरोप में सेंट्रल क्रिमिनल कोर्ट, ओल्ड बेली में जस्टिस एटकिंसन के सामने पेश किया गया था. बता दें कि नेंट-गवर्नर माइकल ओ'डायर वही इंसान था जिसने 13 अप्रैल, 1919 को अमृतसर के जलियांवाला बाग में सैकड़ों पुरुषों, महिलाओं और बच्चों का नरसंहार किया था. 


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गौरतलब है कि उधम सिंह पर दो दिन तक मुकदमा चला था और क्योंकि वह दोषी पाए गए थे तो उन्हें मौत की सज़ा दी गई थी. 15 जुलाई, 1940 को कोर्ट द्वारा मौत की सजा सुनाए जाने के खिलाफ उधम सिंह की अपील पर सुनवाई की गई लेकिन वह भी खारिज कर दी गई थी. 


सुनवाई के दौरान सजा सुनाने से पहले जस्टिस एटकिंसन द्वारा उधम सिंह से पूछा गया था कि क्या वह कुछ कहना चाहते हैं? उधम सिंह ने हां में जवाब देते हुए  नोट पढ़ना शुरू कर दिया. हालांकि जज द्वारा उधम सिंह को बार-बार टोका गया और प्रेस को उनके बयान के बारे में रिपोर्ट न करने का आदेश दिया गया.  (Shaheed Udham Singh speech in Old Bailey Court in Hindi)


बता दें कि जज द्वारा शहीद उधम सिंह से पूछा गया था कि क्या वह कुछ कहना चाहते हैं कि क्यों उन्हें कानून के मुताबिक सजा नहीं दी जानी चाहिए? 


इस दौरान शहीद उधम सिंह ने अपना भाषण शुरू ही किया था कि जस्टिस एटकिंसन ने उनको रोकते हुए कहा कि वह कोई राजनीतिक भाषण नहीं सुनना चाहते और अगर उनके पास इस मामले के बारे में कहने के लिए कुछ भी प्रासंगिक है तो कहें. 


उधम सिंह ने कहा कि वह विरोध करना चाहते थे. इसके बाद वह जिन नोट्स से पढ़ रहे थे उसे लहराया तो जज ने पूछा, "क्या यह अंग्रेजी में है?"


उधम सिंह ने इसका जवाब दिया की वह समझ सकते हैं कि वह क्या पढ़ रहे हैं. इस पर जज ने कहा कि अगर वह उन नोट्स को उन्हें पढ़ने के लिए देंगे तो वह और भी बहुत कुछ समझ सकेंगे. इस पर उधम सिंह ने कहा कि वह चाहते हैं कि जूरी, और सभी लोग इसे सुनें.  (Shaheed Udham Singh speech in Old Bailey Court in Hindi)


इसके बाद अभियोजन पक्ष जी.बी. मैकक्लर ने न्यायाधीश को याद दिलाया कि वह आपातकालीन शक्तियां अधिनियम की धारा 6 के तहत निर्देश दे सकते हैं कि उधम सिंह के भाषण को रिपोर्ट नहीं किया जाए. इस पर जज ने उधम सिंह से कहा कि वह जो भी कहेंगे, उसमें से कुछ भी प्रकाशित नहीं किया जाएगा तो वह टू द पॉइंट ही बात करें. 


हालांकि उधम सिंह फिर भी नहीं रुके. उन्होंने कहा कि वह विरोध कर रहे हैं और उनका यही मतलब है. जूरी को गुमराह किया गया था. इसके बाद न्यायाधीश द्वारा उधम सिंह को याद दिलाया गया कि वह केवल यह बताएं कि कानून के अनुसार उन्हें सजा क्यों नहीं दी जानी चाहिए. 


इस पर उधम सिंह ने चिल्लाते हुए कहा कि वह मौत की सजा की परवाह नहीं करते. उन्होंने कहा, "मुझे मरने की परवाह नहीं है, मैं एक उद्देश्य के लिए मर रहा हूं, हम ब्रिटिश साम्राज्य से पीड़ित हैं. मुझे अपनी जन्मभूमि को मुक्त कराने पर गर्व है और मुझे आशा है कि जब मैं चला जाऊंगा, तो मेरे स्थान पर मेरे हजारों देशवासी तुम गंदे कुत्तों को बाहर निकालने के लिए आएंगे; अपने देश को आज़ाद कराने के लिए.'


उधम सिंह का भाषण ऐसे ही कुछ देर और चला और थोड़ी देर बाद जस्टिस एटकिंसन ने उन्हें रोका और कहा कि वह अब और नहीं सुनेंगे. इस पर उधम सिंह ने कहा था कि "आप नहीं सुनना चाहते क्योंकि आप मेरे भाषण से थक गए हैं, है ना? मुझे बहुत कुछ कहना है." 


इस बहस के बाद उधम सिंह फिर चिल्लाए और नारे लगाए, "ब्रिटिश साम्राज्यवाद मुर्दाबाद! ब्रिटिश गंदे कुत्तों का नाश हो!" इसके बाद रिपोर्ट में यह भी बताया कि जब वह अदालत से बाहर निकलने के लिए मुड़े तो उन्होंने वकील की मेज पर थूक दिया. इसके बाद जज प्रेस की ओर मुड़े और प्रेस को निर्देश दिए कि उधम सिंह के किसी भी बयान को रिपोर्ट न किया जाए. 


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