समीक्षा कुमारी/शिमला: हिमाचल प्रदेश में कला एवं शिल्प मेले का आगाज हो चुका है. प्रदेश संग्रहालय द्वारा शिमला के रिज मैदान में कला और शिल्प मेले का आयोजन किया गया है जहां प्रदेश की प्रसिद्ध हैंड़मेट वस्तुओं की प्रदर्शनी लगाई गई है. इसमें चंबा का रुमाल, थांका पेंटिंग, कुल्लू किन्नौरी शॉल, बांस से बने उत्पादों के स्टॉल लगाए गए हैं, जिनकी खूब ब्रिकी भी हो रही है. 


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मेले में दिख रही हिमाचल की संस्कृति
यह मेला स्थानीय लोगों ही नहीं बल्कि पर्यटकों को भी अपनी ओर आकर्षित कर रहा है. रिज मैदान में लगे इस मेले में हिमाचल प्रदेश की प्रसिद्ध हथकरघा वस्तुएं की प्रदर्शनी लगाई गई है. ऐसे में पर्यटकों को हिमाचल प्रदेश की संस्कृति की झलक एक ही स्थान पर देखने को मिल रही है. ऐसे में सैलानी भी प्रदेश की संस्कृति और हथकरघा वस्तुओं की झलक एक ही स्थान पर देखकर मंत्रमुग्ध हो रहे हैं.


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एक रूमाल की कीमत 300 से 30 हजार रुपये तक
रेशम के धागों से बने कॉटन और खादी के रूमाल पर हुई कारीगरी को देख हर कोई हैरान है. साथ ही लोग इसकी खूब तारीफ भी कर रहे हैं. चंबा के एक रूमाल की कीमत 300 रुपये से लेकर 30 हजार रुपये तक है. कारीगरों ने बताया कि एक रूमाल को बनाने में ही 25 दिन लग जाते हैं, वहीं चंबा के गांव कुंडी की रहने वाली कारीगर सुनीता ने बताया कि इन रूमालों पर भगवान श्रीकृष्ण, राधा रानी और गोपियों की रास लीला बनाने में करीब एक माह का समय लग जाता है.


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क्यों महंगे हैं ये रूमाल?
उन्होंने बताया कि इन रूमालों पर डिजाइन बनाने के लिए विशेष धागे का इस्तेमाल किया जाता है जो कई बार दिल्ली या अमृतसर से मंगवाना पड़ता है. कशीदाकारी किए ये रूमाल एक लाख रुपये तक की कीमत पर बिकते हैं. उन्होंने कहा कि वह गांव की लड़कियों से भी रूमाल बनवाकर रोजगार देती हैं. सुनीता ने बताया कि ये रूमाल थांका पेंटिंग बुद्धिज़्म को दर्शाते हैं. 


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