शिमला: कहते हैं माता-पिता भगवान का दूसरा रूप होते हैं. माता-पिता की जगह कोई नहीं ले सकता. यह सच भी है, लेकिन माता-पिता के बाद शिक्षक हमारे लिए किसी भगवान से कम नहीं होते. माता-पिता के बाद एक शिक्षक ही हैं जिन्हें भगवान का दर्जा दिया जाता है. एक शिक्षक ही होता है जो हमें अच्छी शिक्षा देकर पढ़ा-लिखाकर काबिल इंसान बनाते हैं. बस इसीलिए शिक्षकों को सम्मान देते हुए हर साल 5 सितंबर को टीचर्स डे मनाया है. इस मौके पर शिमला में शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज ने एक प्रेस वार्ता के दौरान हिमाचल की शिक्षा व्यस्थता के बारे में बताया. 


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हिमाचल प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था में कितना आया बदलाव 
सुरेश भारद्वाज ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में आजादी के बाद देश के साथ-साथ हिमाचल प्रदेश ने लंबी छलांग लगाई है. हिमाचल प्रदेश के गठन के समय प्रदेश की साक्षरता दर केवल 4.8 प्रतिशत थी जबकि आज 83 प्रतिशत हो गई है. उस समय हिमाचल में 350 स्कूल और कॉलेज थे जबकि आज 16 हजार से अधिक शिक्षण संस्थान बन चुके हैं. भारतीय जनता पार्टी ने 2017 के मेनिफेस्टो में शिक्षा में गुणात्मक सुधार करने की बात कही थी, जिसे सौ प्रतिशत पूरा किया गया है. 


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कांग्रेस सरकार में हुआ छात्रवृत्ति घोटाला- सुरेश भारद्वाज 
सुरेश भारद्वाज ने कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि कांग्रेस सरकार ने अपने राजनीतिक फायदे के लिए आखिरी वर्ष में बिना बजट के स्कूल कॉलेज खोल दिए, लेकिन बीजेपी ने बजट का प्रावधान कर स्कूल कॉलेज खोले हैं. कांग्रेस सरकार में छात्रवृत्ति घोटाला हुआ, जिसकी बीजेपी ने सीबीआई जांच करवाई और सच्चाई जनता के सामने लाकर रखी. 


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अच्छी शिक्षा में चौथे स्थान पर हिमाचल 
हिमाचल की जयराम सरकार में शिक्षा को सबसे अधिक 8 हजार 412 करोड़ रुपये बजट का प्रावधान किया गया है. बीजेपी ने 2017 के विजन डॉक्यूमेंट में भी गुणात्मक शिक्षा देने की बात कही थी. हिमाचल के सरकारी स्कूलों में प्री-प्राइमरी शिक्षा की कक्षाएं भी शुरू की गई हैं. प्रदेश के करीब 4 हजार स्कूलों में इसकी शुरुआत भी की जा चुकी है जबकि अन्य 4 हजार स्कूलों में इसकी शुरुआत होने जा रही है. अच्छी शिक्षा प्रदान करने में हिमाचल प्रदेश देश में आज चौथे स्थान पर है. 


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