लुधियाना/भारत शर्माआज शिक्षक दिवस है. इस दिन हर उस शख्स को नमन करना बनता है, जिसने अपने ज्ञान से समाज को रोशनी दी. शहर के निवासी हरीओम जिंदल वह ऐसे शिक्षक हैं, जिन्होंने झुग्गी के बच्चों के हाथों से कूड़ा छीनकर उन्हें किताबें थमाई हैं. उनके द्वारा पढ़ाए गए यह झुग्गी वाले बच्चे फर्राटेदार अंग्रेजी बोलते हैं.


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वह अब तक 500 बच्चों को शिक्षित कर चुके हैं, जिन्हें अब जीने की चाहत के साथ-साथ अपने हकों के बारे में पता है. पेशे से वकील हरीओम जिंदल लुधियाना में ऐसे तीन स्कूल चलाते हैं, जहां पर कूड़ा बीनने वाले और झुग्गी में रहने वाले बच्चे शिक्षा ले रहे हैं. हरीओम जिंदल बताते हैं कि यह सफर 2003 में शुरू हुआ था और लगातार चल रहा है.


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दरअसल, वह शिक्षा सिस्टम पर किताब लिखना चाहते थे, जिसके बाद उन्हें 1998 में अपना इंटरनेशनल शिपिंग का बिजनेस बंद करना पड़ा. बाद में लॉ की और 2003 से ऐसे बच्चों को शिक्षा दे रहे हैं. वह कहते हैं कि एक बार वह शिक्षा के स्तर की जानकारी लेने के लिए सलम एरिया में गए तो कूड़ा बीन रहे बच्चों को देख उनसे रहा न गया और वह उन्हें पढ़ाने लग गए.


वह उन्हें नेशनल ओपन स्कूल के माध्यम से पढ़ाते हैं. वह कहते हैं कि उनका मकसद इन्हें शिक्षित करने के साथ-साथ उनके हकों, अधिकारों और देश व समाज प्रति जिम्मेदारियों से अवगत करवाना है.  


लड्डू और चॉकलेट देकर बच्चों मनाया


हरीओम जिंदल बताते हैं कि यह बेहद मुश्किल काम था. शुरुआत में बच्चे पढ़ने को राजी ही नहीं थे. वह उनके लिए रोजाना लड्डू और चॉकलेट लेकर जाते थे और उसके बाद बच्चे उन्हें लड्डू वाला अंकल बुलाने लगे. बाद में धीरे-धीरे पढ़ाई की बातें शुरू कीं. बाद में बड़ी मुश्किल से उनके परिजनों को मनाया और अब 150 बच्चे उनके पास पढ़ते हैं. कई बच्चे ऐसे हैं जिन्होंने पांचवीं और आठवीं कक्षा भी पास कर ली है.


ए फॉर एप्पल नहीं एडमिनिस्ट्रेशन पढ़ाते हैं हरिओम


बताते चले कि हरीओम जिंदल बच्चों को किताबी ज्ञान ही नहीं दे रहे हैं, बल्कि उन्हें जागरूक भी कर रहे हैं. इसलिए उनका बच्चों को पढ़ाने का तरीका सबसे अलग है. वह बच्चों को ए फॉर एप्पल नहीं बल्कि एडमिनिस्ट्रेशन, बी फॉर ब्वॉय नहीं ब्यूरोक्रेसी पढ़ाते हैं.


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उन्होंने बच्चों के लिए एल्फावेट की एक खास किताब (Empowerment through Knowledge) तैयार की है. वह बताते हैं कि इस तरह पढ़ाने के दो बड़े फायदे हैं. पहला बच्चे शिक्षित होते हैं.  दूसरा वो समाज के प्रति जागरूक होते हैं. वह बच्चों को यह समझते हैं कि एडमिनिस्ट्रेशन क्या होता है, कंस्टीट्यूशन क्या है.


आपको बता दें कि शिक्षा के अलावा हरिओम जिंदल बच्चों को कंप्यूटर चलाना भी सिखा रहे हैं. इसके लिए उन्होंने कंप्यूटर सेंटर बनाया गया है.


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