केंद्रीय मंत्रिमंडल ने केंद्र और राज्य सरकारों के साथ-साथ स्थानीय निकायों या पंचायतों के लिए एक साथ चुनाव कराने के लिए 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' योजना को मंजूरी दे दी है.
एक राष्ट्र, एक चुनाव का अर्थ है कि लोकसभा, विधानसभा और स्थानीय निकाय (शहरी या ग्रामीण) चुनाव एक ही वर्ष में होंगे, यदि एक ही समय पर नहीं होंगे.
1951-52 और 1967 के बीच हुए पहले चार चुनावों में यही स्थिति थी.
1968 और 1969 में कई राज्य सरकारों के भंग होने तथा 1970 में लोकसभा की समय से पहले समाप्ति के कारण एक साथ चुनाव कराने का चक्र टूट गया.
सत्तारूढ़ भाजपा का कहना है कि एक साथ चुनाव कराने से आर्थिक विकास बढ़ेगा और नीति निर्माण में सुधार होगा.
सरकार का तर्क है कि एक चुनाव से मतदाता की थकान दूर होगी, मतदान प्रतिशत बढ़ेगा और वह शासन पर ध्यान केंद्रित कर सकेगी.
विपक्षी नेताओं ने इसे एक अव्यवहारिक योजना और "संविधान के मूल ढांचे को नष्ट करने की साजिश" बताया है.
वर्तमान में, केवल सात राज्य ही नई सरकार के लिए मतदान करते हैं, जबकि देश नई राष्ट्रीय सरकार का चयन करता है.
इनमें आंध्र प्रदेश, सिक्किम और ओडिशा शामिल हैं, जहां इस साल की शुरुआत में अप्रैल-जून में लोकसभा चुनाव के साथ ही मतदान हुआ था.