NEET 2023: किसी ने सही कहा है कि कोई चीज ना मुमकिन नहीं होती है बस उसको करने का जज्बा होना चाहिए. इस बात को साबित करती हैं दुर्ग की रहने वाली यमुना चक्रधारी. जो एक ईंट के भट्टे में काम करती हैं. पूरा दिन महनत करती हैं और फिर बचे टाइम में पढ़ाई के लिए वक्त निकालती हैं. इस मेहनत का परिणाम यमुना को मिल गया है. उन्होंने नीट के परीक्षा क्वालिफाई करली है.


ईंट से नीट तक का सफर


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दुर्ग जिले में यमुना के पिता का ईंट का भट्टा हैं और वह अपने पिता का हाथ बटाती हैं.  अपने परिवार के साथ ईटा बनाने के साथ-साथ यमुना ने अपनी पढ़ाई पर भी ध्यान दिया और सफलता हासिल कर दूसरो के लिए भी मिसाल बनीं. जिस तरह से गर्म भट्टे में तपकर एक एक ईंट को तैयार किया जाता है, उसी तरह यमुना ने खुद को मेहनत की भट्टी में तपाकर ये मुकाम हासिल किया है.


6-7 घंटे पर काम फिर पढ़ाई


परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के बावजूद युमना ने हार नहीं मानी और नीट क्वालीफाई कर न सिर्फ दुर्ग जिला बल्कि प्रदेश का नाम बढ़ाया. यमुना का नीट की परीक्षा में कैटिगरी रैंक 42 हजार है, वही आल इंडिया रैंक 93 हजार. यमुना ने 720 नम्बर में 516 नंबर हासिल किए हैं. यमुना के पिता का छोटे सा ईंट का भट्टा है. क्योंकि आर्थिक स्तिथि ठीक नहीं है इसलिए पूरे परिवार को काम करना पड़ता है.


यमुना परिवार के साथ काम करती थी और जो वक्त निकलता था उसमें सेल्फ स्टडी करती थीं. यमुना जी न्यूज़ के माध्यम से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को अपील करते हुए कहती हैं कि वह डॉक्टर बनना चाहती हैं और डॉक्टर बनकर यमुना दुर्ग जिले के साथ-साथ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का और छत्तीसगढ़ का नाम रोशन करना चाहती हैं. इसलिए उन्हें आर्थिक सहायता की जरूरत है.


यमुना के पिता ने ज्यादा पढ़ाई नहीं की है, लेकिन वह अपने बच्ची तो डॉक्टर बनाना चाहते हैं. उनके पिता का कहना है कि वे अपने सामर्थ्य के अनुसार अपने बेटी यमुना, युक्ति वंदना और बेटे दीपक को पढ़ाई करवाकर एक अच्छा मुकाम दिलाने का प्रयास कर रहे हैं. लेकिन आर्थिक मोर्चे पर कमजोर बैद्यनाथ चक्रधारी अब सरकार से मदद की उम्मीद कर रहे हैं कि आगामी समय में उनकी बिटिया को बेहतर शिक्षा के लिए सरकार मदद करे.