B.Tech, MCA और MBA से छात्रों का मोह भंग, 44 फीसदी सीटें खाली; कहाँ जा रहे छात्र ?
Gujarat News: गुजरात सरकार ने गुरुवार को असेंबली में बताया कि साल 2023 में स्व-वित्तपोषित संस्थानों समेत विभिन्न इंजीनियरिंग कॉलेजों में 44 फीसदी से ज्यादा सीटें खाली रहीं. यानी, पूरे राज्य में 62,000 से ज्याद सीटें खाली रह गईं. इसके अलावा एमबीए और एमसीए में भी पूरे प्रदेश में करीब 32 फीसदी सीटें खाली रह गई हैं.
Gujarat News: देशभर में एजुकेशन को लेकर सरकार के द्वारा कई तरह के प्रोग्राम आयोजित किए जाते हैं. भारत सरकार हर साल स्किल टेस्ट के माध्यम से लाखों नौजवान को नौकरी देने के लिए तैयार करती हैं. वहीं, दूसरी तरफ हर साल देश में इंजीनियरिंग में एडमिशन लेने वाले छात्रों के रूझान में भारी गिरावट हुई है. अकेले गुजरात के इंजीनियरिंग कॉलेजों में 44 फीसदी सीटें खाली हैं, जिसमें स्व-वित्तपोषित संस्थानों समेत अलग-अलग इंजीनियरिंग कॉलेज शामिल हैं.
दरअसल, गुजरात सरकार ने गुरुवार को असेंबली में बताया कि साल 2023 में स्व-वित्तपोषित संस्थानों समेत विभिन्न इंजीनियरिंग कॉलेजों में 44 फीसदी से ज्यादा सीटें खाली रहीं. यानी, पूरे राज्य में 62,000 से ज्याद सीटें खाली रह गईं. इसके अलावा एमबीए और एमसीए में भी पूरे प्रदेश में करीब 32 फीसदी सीटें खाली रह गई हैं.
सदन में पेश किए गए आंकड़ों के मुताबिक, मास्टर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन (एमबीए) और मास्टर ऑफ कंप्यूटर की 32 पीसदी से ज्यादा या 7,742 सीटें पिछले साल खाली रह गईं थी. टेक्नॉलॉजी और व्यावसायिक कोर्सेस की पेशकश करने वाले कॉलेजों में खाली सीटों के बारे में गुरुवार को प्रश्नकाल के दौरान कांग्रेस विधायकों ने इस संदर्भ में सावल पूछे थे.
मंत्री ने जवाब में बताया
इसके जवाब में गुजरात के टेक्निकल एजुकेशन मिनिस्टर ऋषिकेश पटेल ने कहा कि गुजरात में अगल-अलग सरकारी, अनुदान-सहायता और स्वयं-वित्तपोषित कॉलेजों में इंजीनियरिंग डिग्री और डिप्लोमा कोर्सेस की 1,40,852 सीटें हैं. उन्होंने कहा कि इन सीटों में से 71,629 सीटें डिग्री इंजीनियरिंग कोर्सेस की हैं, जबकि 69,223 सीटें डिप्लोमा इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों की हैं.
मंत्री ने असेंबली में बताया कि पिछले साल 78,540 सीटें (55.76 फीसदी ) भरी गईं, जबकि इन डिग्री और डिप्लोमा पाठ्यक्रमों की 62,311 सीटें (44.23 फीसदी ) खाली रह गईं. पटेल ने कहा कि साल 2023 में डिग्री इंजीनियरिंग की कुल 38,811 सीटें और डिप्लोमा इंजीनियरिंग की 23,501 सीटें खाली रह गईं.
इन कारणों से सीटें रह जाती हैं खाली
मिनिस्टर ने इस सूरत-ए-हाल के लिए जिन कारणों का हवाला दिया, उनमें मौजूद सीटों की तुलना में कम रेजिस्ट्रेशन और छात्रों द्वारा भारत और विदेशों में IIT और NIT जैसे टॉप इंजीनियरिंग इंस्टिट्यूशन में एंट्री का ऑपशन चुनना शामिल है.
पटेल ने अपने लिखित उत्तर में कहा, "चूंकि डिप्लोमा कॉलेजों में एंट्री के लिए मानदंड 10वीं क्लास पास करना है, इसलिए सीटें खाली रहती हैं क्योंकि छात्र 11वीं कक्षा में पढ़ने या IIT और नर्सिंग जैसे दूसरे कोर्सेसमें जाने का विकल्प चुनते हैं."
असेंबली में पेश आंकड़ों के मुताबिक, "पिछले साल MBA और MCA पाठ्यक्रमों की टोटल 23,791 सीटों में से 32.54 फीसदी यानी 7,742 सीटें खाली थीं, जबकि 16,049 यानी 67.45 फीसदी सीटों पर दाखिला हुआ था.
एमबीए के बजाय स्टूडेंट्स इन कोर्सेस को चुनते हैं
बता दें कि गुजरात में सरकारी और निजी समेत अलग-अलग संस्थान एमबीए के लिए 16,310 सीटें और एमसीए के लिए 7,481 सीटें प्रदान करते हैं. उन 7,742 खाली सीटों में से 4,675 सीटें MBA की थीं जबकि 3,067 सीटें एमसीए की थीं. पटेल ने कहा कि इन कोर्सेस में सीटें खाली रह जाती हैं, क्योंकि ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करने के बाद स्टूडेंट एमबीए या एमसीए चुनने के बजाय दूसरे पाठ्यक्रमों को चुनते हैं या नौकरी या अन्य पेशा अपना करियर बना लेते हैं.