Abdul Gaffar: लिखने पढ़ने के पेशे में आए हुए मुझे तकरीबन 10 साल हो गए. इस दौरान कई खबरें लिखीं, कई अनुवाद किए, कई खबरों को संपादित किया, कई लेखकों के आर्टिकल संपादित किए. इस दौरान एक बात जो थी, वह यह कि कई खबरें और लेख ऐसे रहे जिनमें बहुत गलतियां रहीं. कई बड़े-बड़े लेखकों के लेख में भी वर्तनी से लेकर पैराग्राफ तक में गलतियां रहीं जिन्हें, मैंने दुरुस्त किया. लेकिन पिछले साल मेरे पास अब्दुल गफ्फार नाम से एक लेखक का लेख आया. इस लेख की सबसे अच्छी बात यह रही कि तकरीबन 1000 शब्दों के लेख में कोई गलती नहीं थी. यहां तक कि हिंदी के इस लेख में जहां पर नुक्ते की जरूरत थी, वहां पर नुक्ता लगा हुआ था. लेख की भाषा आम फहम और बहुत आसान थी. इसे पढ़ने के बाद मैंने अपने दोस्त से उनके बारे में जानने की कोशिश की.


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दोस्त से पता चला कि अब्दुल गफ्फार साहब बिहार के जिला पश्चिम चंपारण से ताल्लुक रखते हैं. लिखने पढ़ने में दिलचस्पी रखते हैं. उनके लेख और कहानियां अहा ज़िंदगी, दिल्ली प्रेस, साहित्य प्रभात ख़बर, हरिभूमि और पंजाब केसरी समेत दर्जनों पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं.


अब्दुल गफ्फार ने हिंदी के अलावा उर्दू और भोजपुरी में भी कहानियां लिखी हैं. अब्दुल गफ्फार ने भोजपुरी फिल्मों के लिए कहानी, पटकथा और संवाद लिखे हैं. उनकी लिखी हुई भोजपुरी फिल्म बन कर तैयार है. वह जल्द ही रिलीज होगी.


अब्दुल गफ्फार बताते हैं कि उन्होंने एम ए (उर्दू) बीआरए, बिहार विश्वविद्यालय मुजफ़्फरपुर से किया है. वह SWA (SCREENWRITERS ASSOCIATION) मुंबई के सदस्य हैं.


अब्दुल गफ्फार की सबसे ज्यादा पढ़ी जाने वाली कहानियों में हमसफ़र, वादों का क्या! कि लोग रोने लगे तालियां बजाते हुए, लाजो, सीवर का ढक्कन, कभी अलविदा ना कहना, बंटवारे की दीवार और घर हैं.


अब्दुल गफ्फार का "आ अब लौट चलें" कहानी संग्रह भी छपा है. इसमें उनकी कई मशहूर कहानियां हैं. उन्हें "प्रणवाक्षर" ग़ाज़ियाबाद की तरफ़ से 'श्रेष्ठ रचनाकार सम्मान 2022' से सम्मानित किया गया है. अब्दुल गफ्फार से इस नंबर से 9122437788 संपर्क किया जा सकता है.