गुवाहाटीः किसी की मदद करने के लिए आपको बहुत अमीर होने की जरूरत नहीं होती है, बल्कि एक बड़े दिल की जरूरत होती है. इस बात को सच साबित करके दिखाया है असम के एक मजदूर ने.  असम के लखीमपुर जिले के कहीपारा इस्लामपुर गांव निवासी अबुल कलाम आजाद खुद गुरबत में जिंदगी गुजारने के बावजूद मुसीबत में फंसे लोगों की मदद करने का एक नायाब मिसाल पेश किया है.  


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इन दिनों असम के कई इलाके बाढ़ की चपेट में हैं. बाढ़ प्रभावित इलाकों के लाखों लोग इस वक्त बेघर और लाचार हैं. उनके सामने खाने-पीने की चीजों का संकट है. वह दाने-दाने को मोहताज हैं. सरकार की तरह से मिलने वाली सहायता भी बहुत लोगों तक नहीं पहुंच पा रही है. ऐसे ही एक इलाके में रहने वाले मजदूर अबुल कलाम आजाद ने जब अपने आस-पास के लोगों को भूख और प्यास से परेशान देखा तो उसका कलेजा पिघल गया. कलाम भूखे लोगों को देखकर तड़प उठा. उसने मेहनत मजदूरी कर अपने निजी काम के लिए कुछ पैसे जमा किए थे, जो उसकी जिंदगी की कुल जमा पूंजी थी. लेकिन कलाम ने इसे बाढ़ पीड़ितों पर खर्च कर दिया. 



लखीमपुर के अंदरूनी इलाके बाढ़ की चपेट में हैं. वहां पर अभी तक सरकारी मदद नहीं पहुंच पाई है. कलाम ने पहल कर अपने पैसों से यहां के लोगों की मदद की है. कलाम के पास इतना पैसा नहीं था कि वह लोगों को भरपेट खाना खिला सके. इसके बावजूद कलाम ने हिम्मत नहीं हारी और. कलाम रोजाना चूड़ा, कुरमुरा, चना, बिस्किट, चीनी और बच्चों के लिए दूध लेकर उस बाढ़ प्रभावित इलाके में पहुंचकर लोगों की मदद कर रहा था. इस मदद में वह किसी से कोई भेदभाव नहीं करता है. बाढ़ प्रभावित हर जाति औश्र धर्म के लोगों की वह मदद कर रहा है. 


कलाम के इस कोशिश के बारे में जब इलाके के लोगों को पता चला तो वह इस बात से काफी प्रभावित हुए और वह लोग भी बाढ़ पीड़ितों की मदद करने के लिए आगे आ गए. यहां तक कि अब इलाके के कई अन्य मजदूर भी अपनी जमा पूंजी इन बाढ़ प्रभावित लोगों पर खर्च कर रहे हैं. जिस तरह से अबुल कलाम आजाद बाढ़ पीड़ितों की मदद कर रहे हैं, उससे काफी लोग प्रभावित हो रहे हैं. इंटरनेशनल ह्यूमन राइट्स काउंसिल के स्थानीय अध्यक्षा एडवोकेट साहिबा अहमद ने अबुल कलाम आजाद की इस काम की सराहना करते हुए कहा कि जिस वक्त पैसे वाले लोग फिजूलखर्ची में मशगूल हैं, उसी वक्त अबुल कलाम आजाद जैसा कोई मजदूर अपने बचे हुए पैसे से बाढ़ पीड़ितों की मदद कर रहा है. यह बहुत बड़ी बात है.


:- गुवाहाटी से शरीफ उद्दीन अहमद की रिपोर्ट 


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