Birth anniversary of Chandra Shekhar Azad: गुरु के चरणों मे बैठ एक विद्यार्थी ने कहा था कि गुरुजी बताइए गुरुबहन की शादी में हम क्या कर सकते हैं. गुरु जी ने कहा बेटा तुम बहुत ज़रूरी काम कर रहे हो, तुम्हे मेरी बेटी की शादी जैसे मामूली कामों में नही पड़ता चाहिए,वह हम सब लोग कर लेंगे. मगर विद्यार्थी की ज़िद थी तो गुरु जी बोल उठे,अपने किसी साथी से फला गाँव से दो कनस्तर घी के भिजवा देना,क्योंकि कोई लाने वाला नही है मगर अब तुम मत आना,तुम्हारी जान को खतरा है, अंग्रेज़ तुम्हे ढूंढ रहे हैं. विद्यार्थी गुरु मुख से काम सुनकर खुशी-खुशी लौट जाता है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

कुछ ही दिनों में रात के अंधेरे में गुरु जी का दरवाज़ा खटखटाया जाता है. वह निकलकर देखते हैं तो कोई नौजवान घी के कनस्तर लिए खड़ा है. गौर से देखते हैं कि यह तो वही चन्द्रशेखकर है, गुरु जी चीख उठते हैं, तुमसे मना किया था कि तुम मत आना,तुम्हारी जान को खतरा है. वह नौजवान मुस्कुराता है और कहता है एक भाई अपनी बहन की शादी में इस डर में काम न करे कि उसकी जान को खतरा है, कितना कमज़ोर होगा वह भाई. गुरुजी अपने विद्यार्थी को गले लगा लेते हैं. ऐसा जिगरा था महान क्रांतिकारी चन्द्रशेखर आज़ाद का.


मशहूर लेखक यशपाल अपनी किताब सिंघावलोकन में यह लिखते हैं कि चन्द्रशेखर आज़ाद जब अपने संगठन की मदद की गुहार उस समय के एक कट्टरपंथी संगठनकर्ता से लगाते हैं, वह जो मदद के बदले शर्त रखता है,उसके उत्तर में आज़ाद बोल पड़ते हैं , ‘यह हम लोगों को भाड़े का हत्यारा समझता है.अंग्रेजों से मिला हुआ है. हमारी लड़ाई अंग्रेजों से है… मुसलमानों को हम क्यों मारेंगे? मना कर दो… नहीं चाहिए इसकी कोई मदद’


यह जवाब उस कट्टरपंथी इंसान पर था,जो चंद्रशेखर को मुसलमानों के प्रति इस्तेमाल करना चाहता था. मैं उस सौदेबाज का नाम लिख सकता हूँ, जिसे चंद्रशेखर ने तबियत से कोसा था मगर नही लिखूंगा क्योंकि जब आप मिठाई रख रहे हों तो मक्खियों से भी बचना चाहिए. चंद्रशेखर हमारे देश का बहुत ऊँचा किरदार थे,जो उस कट्टरपंथी की सड़ी नफरत भरी सोच, "जिसमें वह क्रांतिकारियों की मदद की तो हामी भरते हैं, मगर उसके बदले मुसलमानों की हत्याओं का सौदा चाहते हैं",इसका विरोध करते. चंद्रशेखर से प्रेम करने वाला हिन्दू मुसलमान से नफरत करने वाले से खुद बखुद दूर हो जाएगा.


चंद्रशेखर उस पर भड़कते हुए यह तक कहते हैं कि यह हमें भाड़े का बदमाश समझ रहा,जो हत्याओं की सुपारी लेता है. हम देश के लिए लड़ रहें हैं. इतनी बारीक नज़र रखने वाले और दूरदर्शी चन्द्र शेखर आज़ाद की जयंती पर नमन. मेरे हीरो,जो सच्चे थे,सरल थे और मुल्क से मोहब्बत करते थे,उसके लोगों से मोहब्बत करते थे.


चन्द्रशेखर का अनुयायी वही हो सकता है, जिसके दिल मे किसी भी भारतवासी के लिए बैर भाव न हो,नफरत न हो,वह कभी भी चन्द्रशेखर आज़ाद के पांव की धूल भी नही बन सकता जो किसी भी भारतीय से जिसका धर्म उसके धर्म से न मिले, नफरत करता हो उससे,चन्द्रशेखर की नज़र में सच्चा भारतीय वही है, जो लोगों से प्रेम करे,देश से प्रेम करे और एकता की डोर को थामे । आपसी मोहब्बत को बढ़ाकर हम चन्द्रशेखर को सच्ची श्रद्धांजलि दी सकते हैं और आपस मे लड़कर चन्द्रशेखर के सपनो पर पानी भी फेर सकते हैं. यह हमें तय करना है कि हम चन्द्रशेखर को कितना मानते हैं... नमन महान स्वतंत्रता सेनानी...


हफीज किदवई
लेखक स्वतंत्र स्तंभकार हैं. यहां व्यक्त विचार उनके निजी विचार हैं.