Iqra Hasan: लोकसभा चुनाव 2024 में वेस्टर्न यूपी का कैराना लोकसभा सीट सबसे ज्यादा चर्चा में है. इस सीट पर सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी और सपा के बीच टक्कर है. सपा ने यहां से पूर्व दिवंगत सांसद मुनव्वर हसन की बेटी इकरा हसन को उम्मीदवार बनाया है. इसी के साथ वह लोकसभा चुनाव में 'इंडिया' ब्लॉक के उम्मीदवार के रूप में सियासत में डेबू कर रही हैं.


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इकरा का मुकाबला मौजूदा बीजेपी सांसद प्रदीप चौधरी से है. प्रदीप ने साल  2019 के आम चुनाव में इकरा हसन की मां तबस्सुम बेगम को हराया था. हालांकि, इससे पहले इस सीट से इकरा हसन के पिता दिवंगत मुनव्वर हसन ने संसद में कैराना का कई बार प्रतिनिधित्व किया है. इकरा के भाई नाहिद हसन कैराना से मौजूदा विधायक हैं.
  
कोविड महामारी आई तो इकरा हसन लंदन से अपने गृह नगर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कैराना लौट आईं. वो तब लंदन की एक यूनिवर्सिटी में पढ़ाई कर रही थी. इकरा ने विदेश से 2021 में लौटने के बाद अपने विधायक भाई के लिए एक सियासी कैंपेन में पुरजोर तरीके से जुट गई. 29 साल की हसन कभी शिक्षाविदों में अपना नाम बनाना चाहती थी, लेकिन उन्होंने यहां आने के बाद विरासत में मिली सियासत को अपना करियर बनाया और कुछ ही सालों में पश्चिमी यूपी समेत पूरे प्रदेश में अलग पहचान बनाई.  


कैराना में 19 अप्रैल को वोटिंग होनी है, ऐसे में इकरा हसन चुनावी कैंपेन में मसरूफ हैं. उनके मामा बब्लू चौधरी ने याद करते हुए कहा कि उनके भाई जब जेल में थे, तब कैसे उनकी "मृदुभाषी और मजबूत इरादों वाली" भांजी ने साल 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में अपने भाई के लिए प्रचार किया था. 


वहीं, इस बारे में पूछे जाने पर इकरा हसन ने कहा कि उन्होंने दो साल पहले हुए विधानसभा चुनाव में बहुत कुछ सीखा है.  उन्होंने कहा, "यह पहली बार था जब मैंने किसी चुनावी कैंपेन का नेतृत्व किया, क्योंकि मेरा भाई उस वक्त मौजूद नहीं था. उसे झूठे मामलों में फंसाकर जेल में डाल दिया गया था, जिसके चलते मुझे वास्तव में इस क्षेत्र की गतिशीलता को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिली. मैं यहां के लोगों के साथ लगातार संपर्क में रहा हूं." 


विरासत में मिली सियात को हल्के में नहीं लेतीं; इकरा
इकरा ने विरासत में मिली सियासत के सवाल को स्वीकार करते हुए कहा कि उन्हें राजनेताओं के परिवार से होने की वजह यह अवसर पाने में मदद मिली, लेकिन उन्होंने यह भी जोर देते हुए कहा कि वह इसे हल्के में नहीं लेतीं. उन्होंने कहा, "इससे बहुत मदद मिली है और मुझे मौका मिला है. मैं सौभाग्यशाली हूं और मैं इसे स्वीकार करती हूं, लेकिन मैं किसी भी दिन इसे हल्के में नहीं लेती. मैं कड़ी मेहनत कर रही हूं और उम्मीद है कि लोग इसे देख सकते हैं और मुझे वोट दे सकते हैं."


हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि राजनेताओं के परिवार से आने का मतलब यह नहीं था कि सियासत में एंट्री करना उनके लिए स्वाभाविक पसंद था. इकरा हसन ने कहा, "जैसा कि मैंने कहा, मेरा परिवार राजनीति में था. इसलिए, मेरी हमेशा से इसमें रुचि थी. मेरी थीसिस भी चुनाव सुधारों के इर्द-गिर्द घूमती है. मेरी रुचि का प्रमुख क्षेत्र राजनीति था. मैं अपनी पीएचडी कर रही हूं और अकादमिक क्षेत्र में अपना करियर बना रही हूं, लेकिन जीवन की कुछ और ही योजनाएं थीं. अब मैं यहां हूं और मैं इसे पूरा करना चाहती हूं. मैं पूरी तरह से सियासत में काम करना चाहती हूं और देखना चाहती हूं कि मैं इस क्षेत्र में क्या कर सकती हूं और कहां पहुंच सकती हूं."


लंदन से लॉ में ली है मास्टर की डिग्री
इकरा हसन ने लंदन के SOAS यूनिवर्सिटी से इंटरनेशनल पॉलिटिक्स में और कानून में मास्टर डिग्री पूरी की.  इससे पहले उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के लेडी श्री राम कॉलेज से लॉ में स्नातक की डिग्री ली. 


इकरा की क्या है योजना?
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के भीतरी इलाकों में लगातार कैंपेन में जुटी ब्रिटेन से लौटी इकरा हसन के पास एक प्लान है. उन्होंने कहा, "(मैं बुनियादी ढांचे और विकास के मुद्दे उठाऊंगी) क्योंकि यह एक ग्रामीण इलाका है और यहां कनेक्टिविटी के बहुत सारे मुद्दे हैं. मुख्य रूप से, यह गन्ना बेल्ट है, इसलिए किसानों का मुद्दा यहां मुख्य मुद्दा है."


उन्होंने कहा कि किसानों को चीनी मिलों द्वारा नियमित रूप से भुगतान नहीं किया जाता है. इसलिए मेरे लिए ये भी एक मुख्य मुद्दा है. उन्होंने कहा, "अगर हमें मौका मिला तो हम इन मुद्दों को संसद में उठाएंगे." इसके अलाव उन्होंने कहा, "मैं शैक्षिक क्षेत्र, विशेषकर यहां महिलाओं के लिए उच्च शिक्षा क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करना चाहूंगी."