रोजर बिन्नी बीसीसीआई के अध्यक्ष बन गए हैं. उन्होंने सौरव गांगुली की जगह ली है. इस पद से सौरव गांगुली के हटाये जाने के मामले के बाद से ही बंगाल की मुख्यमंत्री और उनकी पार्टी टीएमसी ने इसे सियासी मुद्दा बना दिया है. साथ ही वो इस मुद्दे को खूब भुना रही है. पश्चिम बंगाल की सियासत में मजबूत होने की कोशिश में लगी भारतीय जनता पार्टी इस मामले में कुछ मुश्किल हालात में नजर आ रही है. क्योंकि ममता बनर्जी ने गांगुली के बहाने बंगाली अस्मिता का मुद्दा गरम कर लिया है. 


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हालांकि गांगुली का बाहर निकलना एक नियमित घटनाक्रम के तौर पर अछूता नहीं रहा है और ममता बनर्जी ने बीसीसीआई अध्यक्ष पद से उनके 'हटाये जाने' पर हैरानी जाहिर करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस मामले में दखल देने की मांग की, ताकि उन्हें आईसीसी के अध्यक्ष पद लिए चुनाव लड़ने की इजाज़त दी जा सके. बनर्जी ने गांगुली को न सिर्फ बंगाल, बल्कि पूरे देश का गौरव बताया और कहा कि इस मामले को राजनीतिक या बदले की भावना के तौर पर नहीं लिया जाना चाहिए. 


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इस संबंध में TMC नेता और सांसद सौगत राय ने न्यूज एजेंसी PTI से बात करते हुए कहा,"यह टीएमसी के लिए जीत की हालत है. अगर गांगुली को आईसीसी चुनाव लड़ने की इजाज़त दी जाती है, तो हम कह सकते हैं कि टीएमसी की मांग भाजपा को कुबूल करनी पड़ी." उन्होंने आगे कहा, "अगर उन्हें इजाज़त नहीं दी गई तो यह साबित हो जाएगा कि भाजपा बंगाल-विरोधी है और हमारे प्रतिष्ठित लोगों में से एक (गांगुली) का अपमान कर बंगाली गौरव को ठेस पहुंचाएगी."


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तृणमूल ने पहले गांगुली के बीसीसीआई से बाहर होने को "सियासी बदला" करार दिया था और भाजपा पर पूर्व भारतीय कप्तान को "अपमानित करने की कोशिश" करने का आरोप लगाया था, क्योंकि भगवा पार्टी गांगुली को अपने बैनर तले लाने में नाकाम रही थी. TMC जनरल सेक्रेटरी कुणाल घोष ने कहा, "पश्चिम बंगाल और देश के लोग जानना चाहते हैं कि जय शाह को फिर से चुना गया, लेकिन सौरव गांगुली को दूसरा कार्यकाल क्यों नहीं दिया गया. भाजपा को जवाब देना होगा कि वह गांगुली का अपमान करने की कोशिश क्यों कर रही है. यह फैसला साबित करता है कि भाजपा एक बंगाल विरोधी पार्टी है."