DSP जियाउल हक हत्याकांड में 11 साल बाद आया फैसला, 10 लोग पाए गए दोषी, सजा पर 9 अक्टूबर को होगी सुनवाई
DSP Jiya-Ul-Haq Murder Case Update: प्रतापगढ़ जिले में करीब ग्यारह साल पहले एक दिल दहला देने वाली घटना ने यूपी समेत पूरे देश को हिलाकर रख दिया है. कुंडा में उग्र भीड़ ने डीएसपी जियाउल हक को लाठी डंडों से अधमरा करने के बाद गोली मार कर हत्या कर दी थी. इस हत्याकांड ने यूपी के शासन प्रशासन पर कई सवाल खड़े कर दिए थे. अब इस पर एक दशक बाद सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने आज 10 आरोपियों को दोषी करार दिया है.
DSP Jiya-Ul-Haq Murder Case Update: डीएसपी जियाउल हक हत्याकांड के करीब 11 साल बाद कोर्ट ने आज इस मामले में 11 आरोपियों को दोषी करार दिया है. फैसला सुनाते हुए केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की विशेष अदालत ने सभी 11 दोषियों को गिरफ्तार करने का भी आदेश दिया है. अदालत ने आरोपियों की सजा पर सुनवाई के लिए 9 अक्टूबर की तारीख तय की है.
स्पेशल जस्टिस धीरेंद्र कुमार ने फूलचंद यादव, मंजीत यादव, पवन यादव, राम लखन गौतम, घनश्याम सरोज, छोटेलाल यादव, मुन्ना पटेल, राम आसरे, शिवराम पासी और जगत बहादुर पाल उर्फ बुल्ले पाल को प्रतापगढ़ जिले के डीएसपी जियाउल हक की हत्या करने के लिए दोषी पाया.
CBI ने राजा भैया को दी क्लीन चिट
बता दें, प्रतापगढ़ जिले के कुंडा क्षेत्र के तत्कालीन डीएसपी जियाउल हक की 2 मार्च 2013 को जिले के हथिगवां थाना क्षेत्र में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. हक की बीवी डॉक्टर परवीन आजाद ने अपने पति के हत्या के मामले में बाहुबली पूर्व मंत्री रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया पर भी आरोप लगाया था. लेकिन, सीबीआई ने उनके पक्ष में आखिरी रिपोर्ट दाखिल कर उन्हें क्लीन चिट दे दी थी.
अदालत ने जांच पर उठाए थे गंभीर सवाल
सीबीआई की आकिरी रिपोर्ट को परवीन ने सीबीआई अदालत में ‘प्रोटेस्ट’ पिटीशन के जरिए चुनौती दी थी, जिसके बाद CBI अदालत ने 8 जुलाई 2014 को पारित अपने आदेश में केंद्रीय एजेंसी की जांच पर गंभीर सवाल उठाए थे. साथ ही अदालत ने परवीन द्वारा दर्ज कराई FIR की अग्रिम विवेचना के आदेश दिए थे और अंतिम रिपोर्ट को अस्वीकार कर दिया था. अदालत के द्वारा मिले अग्रिम विवेचना के आदेश को सीबीआई ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, लेकिन सीबीआई की याचिका को हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने खारिज कर दिया था.
जांबाज डीएसपी हक की कब और कहां हुई थी हत्या?
प्रॉसिक्यूटर्स के मुताबिक, घटना की शुरूआत 2 मार्च 2013 को बलीपुर गांव में शाम को प्रधान नन्हे सिंह यादव की हत्या से हुई. प्रधान के सपोर्टर बदला लेने के लिए बड़ी तादाद में हथियार लेकर बलीपुर गांव पहुंच गए. गांव में बवाल होता देख कुंडा के कोतवाल सर्वेश मिश्र अपनी टीम के साथ यादव के घर की तरफ जाने से डर रहे थे, तभी जांबाज डीएसपी हक गांव में पीछे के रास्ते से प्रधान के घर की तरफ बढ़े.
उस वक्त में गांव वाले ताबड़तोड़ गोलीबारी कर रहे थे, गोलीबारी से डरकर सीओ की सुरक्षा में तैनात गनर इमरान और ASI कुंडा विनय कुमार सिंह खेत में छिप गए. लेकिन, हक नहीं डरे वो गांव की तरफ बढ़ते चले गए. वो जैसे ही गांव पहुंचे उग्र ग्रामीणों ने उन्हें चारों तरफ से घेर लिया. इसी दौरान प्रधान नन्हे यादव के छोटे भाई सुरेश यादव को भी भीड़ में से किसी ने गोली मार दी, जिससे उसकी भी मौत हो गई. सुरेश की मौत के बाद उग्र भीड़ ने हक को पहले लाठी-डंडों से पीट-पीटकर अधमरा किया और फिर उसके बाद गोली मारकर उनकी हत्या कर दी. सूचना पाकर जिले से रात 11 बजे बड़ी तादाद में पुलिसकर्मी बलीपुर गांव पहुंचे और सीओ की तलाश शुरू की. आधे घंटे तक चली इस तलाशी में जियाउल हक का शव प्रधान के घर के पीछे पड़ा मिला.