नई दिल्ली: एक तरफ सरकार लगातार यह दावा कर रही है कि देश की अर्थव्यवस्था 5 ट्रिलियन की बनने जा रही है, और देश सालाना 7 फीसदी विकास दर की रफ़्तार से आगे बढ रहा है. वहीँ देश के अलग-अलग हिस्सों से आने वाली तस्वीरें सरकार के इन दावों को झुठला रही है. अभी हाल ही में महाराष्ट्र में एक इंजिनियर ने एक पुल पर अपनी कार खड़ी कर नदी में कूद कर आत्महत्या कर ली थी. अब ऐसे ही खबर उत्तर प्रदेश से आई है, जहा एक सर्राफ ने क़र्ज़ के बोझ से परेशान होकर अपनी बीवी के साथ आत्महत्या कर ली है. 


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यह मामला उत्तर प्रदेश के सहारनपुर का है. यहाँ के साईं ज्वेलर्स के मालिक सौरभ बब्बर ने कर्ज की वजह से पत्नि मोना सहित हरिद्वार की गंगा में कूदकर ख़ुदकुशी कर ली है. उन दोनों ने  सुसाइड से पहले सेल्फी भी ली थी और उसे अपने दोस्तों को व्हाट्सअप पर सेंड कर दिया था. इसके बाद दोनों गंगा नदी में कूद गए. सुसाइड नोट में साफ लिखा है कि कर्ज बहुत ज्यादा हो चुका है. इससे निकलने का हमें कोई रास्ता नहीं दिख रहा है. हमने अपने देनदारों को अँधाधुंध ब्याज दिया है. अब हमारे पास देने के लिए कुछ नहीं है. इसलिए दोनों जान दे रहे हैं. सुसाइड नोट में लिखा है कि हमारे बाद हमारे दोनों बच्चे अपने नान- नानी के यहाँ रहेंगे. हमें किसी और पर भरोसा नहीं है. हम्रारा किशनपुर वाला दुकान और मकान का प्रॉपर्टी हमारे बच्चों का होगा. 


इस हादसे के बाद पुलिस ने सौरभ का शव बरामद कर लिया है. वहीँ मोना की लाश की तलाश जारी है. 


सौरभ और मोना के इस ख़ुदकुशी ने सरकार सहित पूरे समाज पर सवाल खड़ा कर दिया है, कि  क्या क़र्ज़ से मुक्ति का एकमात्र रास्ता आत्महत्या है ? आखिर सौरभ ने किस्से ब्याज लिया था. क्यों लिया था ? क्या उसकी दुकान नहीं चल रही थी? आखिर उसने आत्महत्या का रास्ता क्यों चुना? 


ये कोई पहली बार नहीं है जब कोई कारोबारी क़र्ज़ से परेशान होकर आत्महत्या कर लिया हो. जिस देश में बड़े कारोबारी सरकार और बांको और अरबों रुपये लेकर विदेश भाग जा रहे हैं, वहां छोटे कारोबारियों को क़र्ज़ न चुकाने की वजह से मरना क्यों पड़ रहा है?