72 Horen: फिल्म 'कश्मीर फाईल्स' और 'केरला स्टोरी' पर विवाद के बाद अब फिल्म '72 हूरें' पर विवाद हो रहा है. फिल्म '72 हूरें' का ट्रेलर रिलीज हो चुका है. इस पर कई तरह का विवाद हो रहा है. विवादों के बीच फिल्म के मेकर्स ने बड़ा दावा किया है. मेकर्स का कहना है कि वह फिल्म की स्क्रीनिंग जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय में करेंगे.


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JNU में होगी फिल्म की स्क्रीनिंग


'72 हूरें' फिल्म के प्रोड्यूसर के मुताबिक "मेकर्स मिलकर दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) परिसर में अपनी फिल्म की स्पेशल स्क्रीनिंग करने वाले हैं. ये स्क्रीनिंग 4 जुलाई को होगी" अशोक पंडित ने अपने फैंस का शुक्रिया अदा किया है. उनका कहना है कि "दर्शकों ने फिल्म को खूब प्यार दिया है. 7 जुलाई को फिल्म रिलीज कर रहे हैं. इससे पहले स्पेशल स्क्रीनिंग रखी जा रही है."


राजनीतिक दलों ने जताई आपत्ति


फिल्म द केरल स्टोरी की तरह ही '72 हूरें' पर भी विवाद जारी है. कई राजनीतिक दलों ने फिल्म के सीन्स पर आपत्ति जताई है. लोगों का कहना है कि फिल्म में जिस तरह से चीजों को दिखाया गया है उससे देश में एक समुदाय विषेश के खिलाफ लोगों में गलत पैगाम जाएगा. फिल्म से सामाजिक शांति भंग होगी.


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इस्लामिक शिक्षाओं को गलत ढंग से पेश किया


फिल्म पर देश के बड़े मौलाना साजिद राशिद ने आपत्ति जताई है. आज तक ने उनके हवाले से लिखा है कि "इसमें धार्मिक सीख का गलत ढंग से चित्रण किया गया है. फिल्म के जरिए करोड़ों लोगों की आस्था को ठेस पहुंचाने की कोशिश की जा रही है."


सेंसर बोर्ड ने रोका सर्टिफिकेट


'72 हूरें' फिल्म पर विवाद नया नहीं है. इस पर सेंसर बोर्ड भी अपनी बात रख चुका है. सेंसर बोर्ड फिल्म के सीन्स और डायलॉग पर आपत्ति जताई थी. इसके बाद सर्टिफिकेट देने से इंकार कर दिया था. लेकिन फिर भी मेकर्स ने फिल्म का ट्रेलर लॉन्च कर दिया. इस फिल्म को संजय पूरण सिंह चौहान ने डायरेक्ट किया है.


मेकर्क का क्या कहना है?


फिल्म के बारे में बात करते हुए अशोक पंडित ने कहा कि "आपने हमारे अलावा कभी किसी मौलवी या काजी से सुना है 72 हूरें. ये एक हकीकत तो है. ये मैं नहीं बता सकता कि ये हकीकत नहीं है. मैं तो कश्मीर से हूं. वहां हर गली हर कूचे में इसका जिक्र होता है. ये कहना कि ये एक धर्म के खिलाफ है, बिल्कुल गलत है. हम इस फिल्म के जरिए सिर्फ आतंकवाद की बात कर रहे हैं. किसी को बरगला रहे हैं, कहना गलत होगा. हम क्यों जुड़े इस फिल्म के साथ. आतंकवाद को जितना करीब से मैंने देखा है, शायद ही किसी ने देखा होगा. मेरी बदकिस्मती है कि मैं जिस इलाके का हूं, ऐसी जगह का हूं, जो हमने दिन रात इनको फेस किया है"


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