श्याम बेनेगल ने बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर रहमान पर बनाई फिल्म; देखकर रोने लगे वहां के मंत्री
बांग्लादेश को बनाने वाले शेख मुजीबुर्रहमान की जिदगी पर फिल्म बनाई गई है. इसे ‘मुजीब-द मेकिंग ऑफ ए नेशन’ के नाम से बनाया गया है. इसको बनाने वाला श्याम बेनेगल ने कहा कि इस फिल्म को बना कर फख्र महसूस कर रहा हूं.
फिल्मकार श्याम बेनेगल ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह अपनी फिल्म ‘मुजीब-द मेकिंग ऑफ ए नेशन’ (Mujib: The Making of a Nation) के जरिए बांग्लादेश के राष्ट्रपिता शेख मुजीबुर रहमान की कहानी बताने के लिए फख्र महसूस कर रहे हैं. बांग्लादेश-भारत के सह-निर्माण में बनी फिल्म ‘मुजीब- द मेकिंग ऑफ ए नेशन’ को बुधवार शाम को 48वें वार्षिक टोरंटो अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (TIFF) में दिखाया गया. यह फिल्म बांग्लादेश के पहले राष्ट्रपति शेख मुजीबुर्रहमान की जिंदगी पर आधारित है.
मुजीबुर्रहमान की कहानी गूंजेगी
बाद में देश के प्रधानमंत्री बने रहमान और उनके परिवार के ज्यादातर लोगों की 1975 में हत्या कर दी गई थी. बेनेगल (88) ने कहा कि वह मशहूर महोत्सव में ‘मुजीब-द मेकिंग ऑफ ए नेशन’ बना कर खुश हैं. हालांकि, वह फिल्म की स्क्रीनिंग में शामिल नहीं हो पाए. बेनेगल ने बयान जारी कर कहा, ‘‘इस मशहूर महोत्सव में फिल्म की स्क्रीनिंग करते हुए खुशी हो रही है. मुझे यकीन है कि शेख मुजीबुर्रहमान की कहानी दुनियाभर के लोगों के बीच गूंजेगी. देश को बनाने की इस कहानी को बताने में सक्षम होना फख्र की बात है.’’ ‘मुजीब-द मेकिंग ऑफ ए नेशन’ का निर्माण भारत के राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम (NFDC) और बांग्लादेश फिल्म विकास निगम (BFDC) ने आपसी सहयोग से किया है.
बांग्लादेश ने की फिल्म की तारीफ
बांग्लादेश के सूचना एवं प्रसारण मंत्री डॉ. हसन महमूद का कहना है कि "मैं 'बंगबंधु' के नाम से मशहूर मुजीबुर्रहमान के जीवन पर आधारित फिल्म की स्क्रीनिंग के दौरान काफी भावुक हो उठा."
भारत-पाकिस्तान बंटवारे के बाद बना बांग्लादेश
साल 1947 में भारत पाकिस्तान के बंटवारे के बाद पूर्वी पाकिस्तान यानी बांग्लादेश बना. पूर्वी पाकिस्तान बनने के बाद पाकिस्तान ने इस पर जुल्म करना शुरू कर दिया. जुल्म इस हद तक बढ़ा कि यहां सैकड़ों कत्ल हुए और औरतों के खिलाफ जुल्म बढ़े.
मुजीबुर्रहमान का हुआ कत्ल
इसके बाद बांग्लादेश के लोगों के भले के लिए शेख मुजीबुर्रहमान ने बहुत मेहनत की. पाकिस्तान की फैज के अफसरों ने उन्हें बहुत परेशान किया. आजादी मिलने से बांग्लादेश बनने तक शेख मुजीबुर्रहमान कई बार जेल गए. उन्होंने करीब 11 साल जेल में गुजारे. बांग्लादेश बनने के बाद देश के हालात खराब होने लगे. अवाम और फौज का गुस्सा धीरे-धीरे सरकार के खिलाफ बढ़ा. बांग्लादेश को आजादी मिलने के तीन साल बाद ही 15 अगस्त 1975 को सेना ने तख्ता पलटकर शेख मुजीबुर्रहमान का कत्ल कर दिया.