Bhajan Sopori: संगीत जगत को पिछले कई दिनों से बड़े-बड़े झटके लग रहे हैं. सबसे पहले पंजाबी सिंगर सिद्धू मूसेवाला, उनके बाद दिग्गज गुलूकार केके का अचानक चले जाने से अभी लोग उभरे नहीं थे कि संतूर वादक भजन सोपोरी का निधन हो गया है. गुरुग्राम के फोर्टिस हॉस्पिटल में हुआ है. बताया जा रहा है कि वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे.


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पिछले महीने एक और संतूर वादक पंडित शिवकुमार शर्मा भी इस अलविदा कह गए थे और अब भजन सोपोरी का चले जाना शास्त्रीय संगीत के लिए एक बड़ा नुकसान है. 


पिता से घर पर ही ली थी संगीत की शिक्षा
भजन सोपोरी का जन्म 1948 को श्रीनगर में हुआ था. उनके पिता पंडित एसएन सोपोरी भी एक संतूर वादक थे. ना सिर्फ पिता बल्कि उनके दादा भी संगीत में काफी रूची रखते थे. भजन सोपोरी को उनके दादा और पिता ने ही घर पर संगीत की शुरुआती शिक्षा दी थी. 


अरबी फारसी समेत तमाम भाषाओं के गीतों को दिया संगीत
अपने दादा और पिता की विरासत को आगे बढ़ाते हुए भजन सोपोरी दुनियाभर में अपनी काबिलियत का लोहा मनवाया. कहा यह भी जाता है कि वो एक मात्र ऐसे शास्त्रीय संगीतकार थे जिन्होंने अरबी, फारसी, संस्कृत समेत देश की तमाम भाषाओं में हजारों गीतों को संगीत दिया है. उन्हें उनके फन के लिए पद्म श्री से भी सम्मानित किया गया था. 


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